PM मोदी ने ई-वेस्ट पर की चर्चा, बोले, रीयूज सर्कुलर इकोनॉमी में बन सकता है बड़ी ताकत
97वें और साल 2023 के पहले 'मन की बात' कार्यक्रम
नई दिल्लीः पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने 97वें और साल 2023 के पहले ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए जनता को संबोधित किया।
पीएम मोदी ने इस दौरान ‘इलेक्ट्रॉनिक्स वेस्ट’ के बारे में चर्चा की और कहा कि आज के लेटेस्ट मोबाइल और लैपटॉप डिवाइस भविष्य के ‘ई-वेस्ट’ हैं।
कार्यक्रम में ‘नमोऐप’ पर ई-वेस्ट पर चर्चा का अनुरोध करने वाले तेलंगाना के एक इंजीनियर विजय और सोशल मीडिया यूजर की पोस्ट पर संज्ञान लेते हुए पीएम मोदी ने कहा, विजय जी ने ई-वेस्ट के बारे में लिखा है, उनका अनुरोध है कि मैं ‘मन की बात’ में इसकी चर्चा करूं।
पहले भी इस कार्यक्रम में हमने ‘वेस्ट टू वेल्थ’ यानी ‘कचरे से कंचन’ की बात की थी, लेकिन आइए आज इससे जुड़े ई-वेस्ट की बात करते हैं।
आज के लेटेस्ट उपकरण भी भविष्य का ई-वेस्टः
पीएम मोदी ने कहा कि आज के समय में मोबाइल फोन, लैपटॉप और टैबलेट जैसे उपकरण हर घर में आम हो गये हैं। इनकी संख्या देश भर में अरबों में होगी। आज के लेटेस्ट उपकरण भी भविष्य का ई-वेस्ट हैं।
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मोदी ने कहा, जब भी कोई नया उपकरण खरीदता है या किसी पुराने उपकरण को बदल देता है तो यह ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है कि इसे ठीक से फेंका जा रहा है या नहीं। अगर ई-कचरे का निपटान ठीक से नहीं किया गया तो यह हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है।।
रीयूज सर्कुलर इकोनॉमी में एक बड़ी ताकतः
पीएम ने कहा कि अगर कचरे को ठीक से और सावधानी से डिस्पोज किया जाए तो ये रिसाइकिलिंग और रीयूज की सर्कुलर इकोनॉमी में एक बड़ी ताकत बन सकते हैं।
उन्होंने कहा, “आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस ई-कचरे से विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से लगभग 17 प्रकार की कीमती धातुएं निकाली जा सकती हैं। इसमें सोना, चांदी, तांबा और निकल शामिल हैं, इसलिए ई-कचरे का उपयोग ‘कचरे को कंचन’ बनाने से कम नहीं है।
इस समय करीब 500 ई-वेस्ट रिसाइकलर इस सेक्टर से जुड़े हैं और कई नए उद्यमी भी इससे जुड़ रहे हैं।
कई राज्यों में ई-वेस्ट का हो रहा रियूज
पीएम ने कहा, मुंबई में काम करने वाली इकोरेको ने एक मोबाइल ऐप के जरिए ई-वेस्ट कलेक्ट करने का सिस्टम डेवलप किया है। रुड़की, उत्तराखंड के एटेरो रिसाइक्लिंग ने दुनिया भर से इस क्षेत्र में कई पेटेंट हासिल किए हैं। इसने खुद का ई-वेस्ट तैयार कर कई अवॉर्ड भी जीते हैं।
भोपाल में एक मोबाइल ऐप और वेबसाइट ‘कबाड़ीवाला’ के माध्यम से टनों ई-कचरा एकत्र किया जा रहा है। ये सभी भारत को वैश्विक रिसाइकल हब बनाने में मदद कर रहे हैं। ई-कचरे के क्षेत्र में काम करने वालों का कहना है कि वर्तमान में ई-कचरे का केवल 15-17 प्रतिशत ही हर साल पुनर्नवीनीकरण किया जाता है।