PM Modi In Dawoodi Bohra Community Program: दाऊदी बोहरा के कार्यक्रम में बोले PM मोदी, मैं यहां न तो पीएम और न ही सीएम हूं

शिक्षा के गौरव को वापस लाना होगा

119

मुंबईः पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अल्जमीया-तुस-सैफियाह अरबी अकादमी के मुंबई परिसर का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने दाऊदी बोहरा समुदाय के कार्यक्रम को संबोधित भी किया।

पीएम मोदी ने कहा, मैं आपके परिवार का सदस्य हूं। मेरी एक शिकायत है कि आपने बार-बार मान्य प्रधानमंत्री कहा है, मैं आपके परिवार का सदस्य हूं, न मैं मुख्यमंत्री हूं न प्रधानमंत्री हूं। मैं 4 पीढ़ियों से बोहरा समाज से जुड़ा हुआ हूं।

पीएम मोदी ने कहा कि अलजामिया-तुस-सैफियाह परिसर का दौरा करना मेरे अपने परिवार का दौरा करने जैसा है। यह मेरा परिवार है और मैं घर पर हूं। मेरे पास जो सौभाग्य है, वह शायद बहुत कम लोगों को मिला है। सभी 4 पीढ़ियों ने मेरे घर का दौरा किया है।

इसे भी पढ़ेंः सांसद ने लोकसभा में उठाया पहाड़ी मंदिर का मामला

उन्होंने कहा कि किसी समुदाय, समाज या संगठन की पहचान इस बात से होती है कि समय के अनुसार उसने अपनी प्रासंगिकता को कितना कायम रखता है। समय के साथ परिवर्तन और विकास की इस कसौटी पर दाऊदी बोहरा समुदाय ने हमेशा खुद को साबित किया है। आज अल्जामी-तुस-सैफियाह जैसे महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों का विस्तार उसी का जीता जागता उदाहरण है।

दाऊदी बोहरा समुदाय से अपने गहरे रिश्ते का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दाऊदी बोहरा समुदाय से मेरा नाता पुराना ही नहीं बल्कि किसी से छिपा भी नहीं है। अपनी एक यात्रा के दौरान, मैंने सैयदना साहब को 98 वर्ष की आयु में 800 सौ से अधिक छात्रों को पढ़ाते हुए देखा। वह घटना मुझे आज तक प्रेरित करती है।

मैं देश ही नहीं, विदेश में भी कहीं जाता हूं, मेरे बोहरा भाई-बहन मुझसे जरूर मिलने आते हैं। वो चाहे दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हों, किसी भी देश में क्यों न हों, उनके दिलों में भारत की चिंता और भारत के लिए प्रेम हमेशा दिखाई देता है।

मोदी ने कहा कि जब भी मुझे सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब से बातचीत करने का मौका मिला, उनकी सक्रियता और सहयोग ने मुझे हमेशा ऊर्जा से भर दिया। मेरे गुजरात से दिल्ली आने के बाद भी वह मुझ पर प्यार बरसाते रहे।

शिक्षा के क्षेत्र में भारत कभी नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों का केंद्र हुआ करता था। पूरी दुनिया से लोग यहां सीखने और पढ़ने आते थे। अगर हमें भारत के वैभव को वापस लाना है तो हमें शिक्षा के उस गौरव को भी वापस लाना होगा।