लखनऊः मशहूर शायर मुनव्वर राणा का रविवार को निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक, 71 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। लखनऊ स्थित संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान में उनका पिछले कुछ वक्त से इलाज चल रहा था। मुनव्वर राणा को साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। हालांकि सरकार से नाराज़गी जताते हुए उन्होंने अपना अवॉर्ड वापस करने का ऐलान किया था। मुनव्वर राणा लंबे समय से बीमार थे। उन्हें गले का कैंसर था।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उर्दू के मशहूर शायर मुनव्वर राना के निधन पर गहरा शोक जताया है।
अखिलेश यादव ने सोमवार को लालकुआं लखनऊ स्थित उनके आवास पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने शोकाकुल परिवार से संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मुनव्वर राना उर्दू के जानेक्षमाने शायर थे। वे अपनी बात बहुत ही बेबाकी से रखते थे। मां पर उनकी शायरी हमेशा याद रखी जाएगी। मुनव्वर राना के निधन से हम सभी दुःखी हैं।
तो अब इस गांव से
रिश्ता हमारा खत्म होता है
फिर आंखें खोल ली जाएं कि
सपना खत्म होता है।देश के जानेमाने शायर मुन्नवर राना जी का निधन अत्यंत हृदय विदारक।
दिवंगत आत्मा की शांति की कामना।
भावभीनी श्रद्धांजलि। pic.twitter.com/BDDbojdYNh
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 14, 2024
सपा अध्यक्ष ने मुनव्वर राना की शायरी को याद करते हुए उन्होंने कहा- ‘‘तो अब इस गांव से रिश्ता हमारा खत्म होता है, फिर आंखें खोल ली जाएं कि सपना खत्म होता है।”
मुनव्वर राना की नज्म ‘‘मां” के लिए उनको हमेशा याद किया जाएगा। उनका उर्दू साहित्य जगत में एक अलग स्थान है। उर्दू शायरी की मशहूर शख्सियत रहे राणा की शायरी को पसंद करने वाले लोग दुनिया भर में हैं। मंचों पर मुनव्वर राणा की उपस्थिति बेहद खास होती थी। मंचीय आयोजनों में मां पर उनकी उनकी शायरी के बिना कोई भी कवि सम्मेलन और मुशायरा मुकम्मल नहीं होता था। वहीं उनके रचनाकर्म में बेटियों और मुहाजिर की पीड़ा जैसे विषयों ने लोगों को बेहद प्रभावित किया।