कोलकाता, सूत्रकार : देश में सुर्खियां बटोर रहे पश्चिम बंगाल के उत्तर चौबीस परगना जिले के संदेशखालीकांड के मास्टर माइंड और तृणमूल नेता शाहजहां शेख की गिरफ्तारी की मांग को लेकर गुरुवार को जबरदस्त ड्रामा चला। दरअसल शाहजहां की गिरफ्तारी की मांग को लेकर भाजपा सांसद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार शाम को संदेशखाली थाने के सामने धरने पर बैठ गये थे। वहां पर वह जोरदार नारे भी लगा रहे थे। इसके बाद शाम को संदेशखाली थाने की पुलिस ने उनको खींचते हुए थाने के सामने से हटा दिया और नाव से ले गयी।
संदेशखाली थाने के सामने धरना देने पर पुलिस ने पहले तो उन्हें हटने के लिए कहा, लेकिन जब सुकांत मजूमदार नहीं हटे तो पुलिस ने उनके साथ जबरदस्ती की। उन्हें अपने हिरासत में ले लिया और उनको जबरदस्ती धरना स्थल से घसीटते हुए उठाकर बोट के जरिये धमाखली ले गयी। हालांकि इस नदी यात्रा के दौरान ही सुकांत को निजी जमानत पर रिहा कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम पर भाजपा नेता ने मीडिया से कहा कि पुलिस ने मुझे गिरफ्तार कर लिया। जमानत पर रिहा किया। लेकिन मैं अब कहीं नहीं जा रहा हूं। जब तक मेरी पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक नहीं आ जाते, मैं कलकत्ता नहीं लौटूंगा।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक एक घंटे के धरने के बाद पुलिस ने धारा 144 का हवाला देते हुए सुकांत से धरना वापस लेने को कहा। तभी स्थानीय लोग पुलिस से बहस करने लगे। इसी बीच पुलिस सुकांत को वहां से खींचकर फेरीघाट ले गई। इसके पूर्व सुकांत बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष विकास सिंह के परिवार से मिलने पहुंचे। वह वहां से निकल कर वे सीधे थाने गए। जब उन्हें थाने में घुसने से रोका गया तो वे वहीं सड़क पर बैठ गये। आरोप है कि पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें रोक लिया। स्थानीय भाजपा नेता सुकान्त के साथ थे। सुकांत ने कहा कि जब तक शाहजहां शेख की गिरफ्तारी नहीं हो जाती तब तक वह यहीं रहेंगे। वे रात भर अपना धरना जारी रखेंगे।
मालूम हो कि सुकांत मजूमदार आठ दिन पहले भी संदेशखाली गए थे। उस समय उनको टाकी में रोक लिया गया था। उस दिन पुलिस से धक्कामुक्की के दौरान सुकांत पुलिस की गाड़ी के बोनट से गिर गए थे। इस घटना में उनको गंभीर चोटें आयी थीं। उनको तीन दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था।
गुरुवार को सुकांत पुनः सन्देशखाली गए। सबसे पहले वह संदेशखालीकांड में गिरफ्तार भाजपा कार्यकर्ताओं से मिले। फिर जब वह संदेशखाली की ओर बढ़े तो पुलिस ने एक बार फिर उनको रोका और कहा कि अगर वह जाना चाहते हैं तो अकेले जाएं। सुकांत कम से कम एक पार्टी कार्यकर्ता को अपने साथ ले जाना चाहते थे लेकिन पुलिस ने उन्हें अनुमति नहीं दी तो वह सुरक्षा गार्डों के साथ अकेले ही चले गए।