Polygamy Nikah Halala Hearing: बहुविवाद और निकाह हलाला, SC ने सुनवाई के लिए बनाई नई संवैधानिक बेंच
पांच जजों की बेंच करेगी सुनवाई
नई दिल्लीः तीन तलाक के बाद अब बहुविवाद और निकाह हलाला को संवैधानिक चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नई संवैधानिक बेंच बनाई है।
उल्लेख है कि बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय समेत कुछ मुस्लिम महिलाओं ने बहुविवाह और निकाह हलाला की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। इन सभी याचिकाओं में मुस्लिम समाज की इन प्रथाओं को असंवैधानिक और अवैध करार दिये जाने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि बहुविवाह और निकाह-हलाला जैसी प्रथाओं से मुस्लिम महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मुस्लिमों में बहुविवाह और निकाह हलाला प्रथा को संवैधानिक चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 5 जजों की बेंच सुनवाई करेगी।
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इस मामले पर पीआईएल दाखिल करने वालों में से एक वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से दाखिल जवाबों पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा ने कहा कि इस मामले पर एक नई पांच न्यायाधिशों की बेंच का पुर्नगठन किया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में पुरानी संवैधानिक बेंच के दो न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और न्यायाधीश हेमंत गुप्ता रिटायर हो गए हैं। पिछले साल 2022 में अश्विनी उपाध्याय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया था। जिस पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा कि 5 जजों की बेंच के पास और भी कई महत्वपूर्ण मामले लंबित हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा, हम एक और संवैधानिक बेंच का गठन कर रहे हैं। यह बैंच इस मामले को ध्यान में रखेंगे।
आपको बता दें, पिछले साल 2022 के 30 अगस्त को मामले की सुनवाई कर रही पांच जजों की बेंच में न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी, हेमंत गुप्ता, सूर्य कांत, एमएम सुंदरेश और सुधांशु धूलिया शामिल थे।
इस बेंच ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को नोटिस जारी कर मामले पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था।
इसके बाद 23 सितंबर और 16 अक्टूबर को क्रमश: न्यायाधीश बनर्जी और न्यायाधीश गुप्ता रिटायर हो गये थे। जिसकी वजह से बहुविवाह और निकाह हलाला के खिलाफ लगीं 8 याचिकाओं की सुनवाई के लिए नई बेंच के गठन की जरूरत पड़ गई थी।
बता दें, शरिया या मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक, बहुविवाह में एक मुस्लिम शख्स को चार पत्नियां रखने का अधिकार है। वहीं, निकाह हलाला की प्रक्रिया में एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला को अपने शौहर से दोबारा शादी करने के लिए पहले किसी अन्य शख्स से शादी करनी होती है और फिर उससे तलाक लेना होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2018 में इस याचिका पर सुनवाई करने का फैसला लिया था। जिसके बाद ऐसी ही अन्य याचिकाओं को संवैधानिक बेंच के पास भेज दिया गया।