कोलकाता, सूत्रकार : रबी फसल की खेती करने वाले उत्तर भारत के राज्यों के किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि अगर अभी बारिश होती है, तो गेहूं की फसल को फायदा होगा लेकिन पश्चिम बंगाल में यही बारिश आलू उत्पादक किसानों के लिए काल बन गई है। बीते 17, 18 और 19 जनवरी को हुई बारिश ने बंगाल के किसानों को झटका दिया है।
खास कर हुगली और बर्दवान जिले में बारिश से आलू की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है। ऐसे में इसका असर कोलकाता के खुदरा बाजार पर पड़ने की आशंका बढ़ गई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की दो प्रमुख नकदी फसलों में से एक आलू को इस सीजन में बारिश से दोहरी मार झेलनी पड़ी है। दिसंबर के आखिर में हुई बारिश के कारण आलू की फसल को व्यापक नुकसान हुआ था, जिससे किसानों को दोबारा बीज बोने के लिए मजबूर होना पड़ा लेकिन हाल की बारिश ने स्थिति और खराब कर दी, क्योंकि फसल उगने ही लगी थी कि आपदा आ गई।
ऐसे में बारिश के दोहरे हमलों ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इस वर्ष आलू का उत्पादन पिछले वर्षों की तुलना में कम से कम 30 फीसदी तक कम हो सकता है। इससे संभावित रूप से आलू की खुदरा कीमतें बढ़ सकती हैं।
आलू की खेती में लागत बढ़ गई
हुगली, पूर्व बर्दवान और बांकुड़ा में बारिश के पानी ने आलू की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप मजूमदार और सरकारी अधिकारियों ने कहा कि वे नुकसान का आकलन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हालांकि, स्थिति वास्तव में चुनौतीपूर्ण है।
किसान कठिनाइयों पर काबू पा सकते हैं लेकिन पूर्व बर्दवान के किसानों ने उन लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों पर के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आलू के बीज दोबारा बोने पड़े। ऐसे में एक बीघे आलू की खेती की लागत बढ़कर 25,000 रुपये से 30,000 रुपये तक पहुंच गई है, जिससे पैदावार में नुकसान होने का डर है।
इन फसलों को पहुंचा नुकसान
मूंग, लाल मसूर, बंगाल चना, लिमा बीन्स और प्याज सहित कई अन्य रबी फसलें भी बारिश से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। पूर्वी बर्दवान के मेमारी II में, किसान आलू की फसल को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे खेतों से पानी निकालने का प्रयास कर रहे हैं जबकि आलू के पौधों का अस्तित्व अधर में लटका हुआ है। पूर्वी बर्दवान में कृषि अधिकारियों ने दावा किया कि पानी घटने के साथ स्थिति नियंत्रण में है।
बारिश में धान का स्टॉक हुआ खराब
बारिश का असर धान की फसल की सरकारी खरीद का इंतजार कर रहे किसानों पर भी पड़ा है। पुरसुरा के किसान ने कहा कि उनका धान का स्टॉक जो उन्होंने खुले में छोड़ दिया था, वह खराब हो गया है। खरीद में देरी के कारण किसानों को एजेंटों द्वारा शोषण का शिकार होना पड़ा।