मत्स्य मित्र के रूप में महिलाओं को मछली पालन का गुर सीखा रहीं खूंटी की प्रभा देवी

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खूंटी :  जिले के मुरहू प्रखंड के गम्हरिया गांव की रहने वाली प्रभा देवी कुछ दिनों तक एक-एक पैसे की मोहताज थी। दूसरे के खेत-खलिहानों में काम कर परिवार की गाड़ी खींचने वाली प्रभा देवी ने कम समय में ही अपने क्षेत्र में अलग पहचान बना ली है। आज प्रभा देवी विभिन्न इलाकों में न सिर्फ महिलाओं को, बल्कि पुरुषों को भी मत्स्य पालन का गुर सीखा रही है। वह जोहार परियोजना के तहत आजीविका मत्स्य मित्र के रूप में काम कर ग्रामीणों को मछली पालन के तरीके और इससे होने वाले लाभ के बारे में बता रही है। प्रभा देवी बताती हैं कि वह ज्योति आजीविका महिला मंडल की प्रभा जोहार परियोजना से जुड़ी हैं। बाद में उसने जीवन उत्पादक महिला समूह में मछली पालन के लिए प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण के बाद उसे सहयोग राशि, जीरा, चूना सहित अन्य सामान मिले। इसके बाद प्रभा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

 

आज प्रभा देवी परियोजना से मिले सहयोग से अपने तालाबों में मछली की नर्सरी कर अंगुलिका तैयार कर रही है। साथ ही बड़ी मछलियों का व्यवसाय कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रही है। प्रभा बताती है कि वह प्रभा जोहार परियोजना की विभिन्न गतिविधियों जैसे उच्च मूल्य कृषि, बत्तख पालन आदि से सालाना एक लाख रुपये ये अधिक मुनाफा कमा रही है। प्रभा देवी ने बताया कि जोहार परियोजना जेएसएलपीएस द्वारा संचालित की जाती है। इसका मुख्य उद्देश ग्रामीण महिलाओं का आजीविका संवर्धन करना है। उन्होंने कहा कि अब तो कई महिलाएं मत्स्य पालन के व्यवसाय से जुड़कर आत्मनिर्भर हो रही हैं।

 

उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार महिलाओं के विकास के लिए कई योजनाएं चला रही हैं लेकिन जानकारी और जागरुकता के अभाव में महिलाएं इसका लाभ नहीं ले पाती हैं। उन्होंने बताया कि परियोजना के मात्स्यिकी प्रभाग में मुख्यतः चार उपघटकों में कार्य किया जाता है। मछली उत्पादन, मत्स्य बीज उत्पादन, समेकित मछली पालन और पेन और केज कल्चर में मत्स्य पालन।

 

इसके लिए ग्राम स्तर पर तकनीकी प्रशिक्षित मत्स्य मित्र द्वारा मछली पालन करने के पारंपरिक तरीकों को छोड़कर वैज्ञानिक तरीके ( तालाब प्रबंधन, जल जांच, बीज संचयन, आहार प्रबंधन, रोग निराकरण प्रबंधन और बाजारीकरण) से मछली पालन के विषय में प्रशिक्षण भी दिया जाता है। मत्स्य पालन के माध्यम से महिलाओं के आजीविका संवर्धन के लिए जोहार परियोजना सहयोग राशि भी उपलब्ध कराती हैं।

 

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