निजी अस्पताल संचालकों को रेट चार्ट करना होगा डिस्प्ले

सिविल सर्जन ने बैठक में क्लिनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट का पालन करने का दिया निर्देश

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रांची: राजधानी रांची में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करा रहे निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम्स को अपने यहां उपलब्ध बीमारियों में होने वाले खर्च का संभावित रेट चार्ट डिस्प्ले करना होगा। शनिवार को रांची में सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने क्लिनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत निबंधित निजी अस्पताल संचालकों और उनके प्रतिनिधियों की बैठक में इसके लिए स्पष्ट निर्देश दिए हैं।

शनिवार को सिविल सर्जन कार्यालय सभागार में 20 से अधिक निजी अस्पताल संचालक बैठक में शामिल हुए। जिनसे क्लिनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट के नियमों का कठोरता से पालन, आयुष्मान भारत, टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में निजी अस्पतालों की भूमिका और पीसी पीएनडीटी एक्ट को लेकर चर्चा की गई।

आयुष्मान योजना के तहत बीमारियों के इलाज का ब्योरा डिस्प्ले बोर्ड पर जरूरी
बैठक में निजी अस्पताल संचालकों से कहा गया कि नर्सिंग होम, प्राइवेट हॉस्पिटल में आयुष्मान भारत योजना के तहत कौन-कौन सी बीमारियों का इलाज उपलब्ध है इसकी जानकारी डिस्प्ले बोर्ड पर होनी चाहिए। इसके अलावा अगर कोई लाभुक आयुष्मान कार्ड लेकर नहीं आता है तो उसे सीधे लौटाने की जगह व्हाट्सएप या अन्य तकनीक से शॉफ्ट कॉपी देखकर भी इलाज शुरू करें।

इसके साथ लाभुक का थंब इम्प्रेशन नहीं मिलने पर संबंधित मरीज का लोकेशन के साथ फोटो खींचकर एडमिट कर इलाज करें। डिस्चार्ज के समय आयुष्मान भारत योजना के तहत 15 दिनों की दवा उपलब्ध कराना भी निजी अस्पताल संचालक सुनिश्चित करें। जिन बीमारियों में 15 दिन से कम की दवा खाने की सलाह देते हैं उस परिस्थिति में यह कम दिन का हो सकता है। आयुष्मान योजना के तहत इलाज कर रहे निजी अस्पताल यह भी सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी सरकारी डॉक्टर नहीं हो।

टीबी रोगियों का निक्षय मित्र बनें निजी अस्पताल
राज्य को 2025 तक टीबी मुक्त करना है। टीबी मुक्त झारखंड के लिए जरूरी है कि टीबी मरीजों को दवा के साथ-साथ पौष्टिक आहार मिले। इसके लिए निक्षय मित्र योजना चल रही। निजी अस्पताल भी टीवी रोगियों का निक्षय मित्र बनें. राज्य में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए पीसी-पीएनडीटी एक्ट लागू है।

इसके गाइडलाइन का पालन करें और यह ध्यान में रखें कि एक रेडियोलॉजिस्ट अधिक से अधिक दो जगह पर ही सेवा दें। इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार, डीटीओ डॉ एस के सावनी, डीआरसीएचओ डॉ असीम मांझी और 20 से अधिक निजी अस्पतालों के संचालक और उनके प्रतिनिधि शामिल थे।

 

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