कोलकाताः भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अपनी स्थापना के बाद से अपनी छवि को फिर से बनाने के लिए बड़े पैमाने पर जनसंपर्क अभियान शुरू किया है।
यह अभियान आगामी पंचायत चुनाव और 2024 की लोकसभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए शुरू किया गया है। यह तब शुरू किया गया, जब पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया और इसके नेताओं को अदालत के अंदर और बाहर भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है।
इस बीच, टीएमसी के वरिष्ठ नेता जैसे पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी, दो अन्य विधायक और बीरभूम जिला अध्यक्ष अणुव्रत मंडल पिछले साल से शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार और मवेशी तस्करी के मामलों में गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
टीएमसी के राज्य उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजूमदार ने कहा, ऐसा नहीं है कि भ्रष्टाचार के सभी आरोप सही हैं, लेकिन कुछ उदाहरणों ने पार्टी की छवि खराब की है।
इसलिए, अपने 25वें वर्ष में प्रवेश करने वाली पार्टी ने सार्वजनिक प्रतिनिधित्व के विभिन्न स्तरों से खराब छवि वाले लोगों को हटाने का फैसला किया है। जनता के बीच एक अच्छी छवि के साथ नए चेहरों को लाने का फैसला किया है।
इधर, बीजेपी, कांग्रेस और वामपंथियों ने सत्तारूढ़ टीएमसी के सफाई अभियान का मजाक उड़ाया। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, टीएमसी गले तक भ्रष्टाचार में डूबी है।
केवल कुछ शाखाओं को काटने से कोई नतीजा नहीं निकलेगा। भ्रष्टाचार के पूरे पेड़ को जड़ से उखाड़ने की जरूरत है। सिर्फ बीजेपी ही यह कर सकती है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा, भ्रष्टाचार टीएमसी की संस्कृति का हिस्सा है। इस तरह के अभियान भ्रष्टाचार के मामलों से लोगों का ध्यान भटकाने का हथकंडा है।
राजनीतिक वैज्ञानिक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा, इससे टीएमसी को मदद मिलने की संभावना नहीं है क्योंकि अभियान में सबसे आगे रहने वालों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं।