पुतिन की दहाड़

किसी भी समस्या के समाधान के लिए अंतिम विकल्प के तौर पर ही जंग को समझा जाता है

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पिछले लगभग 14-15 महीनों से जारी रूस और यूक्रेन की जंग एक अजीबोगरीब मोड़ पर खड़ी है। इस जंग में एक ओर दुनिया की महाशक्तियों में शामिल रूस अपने पड़ोसी यूक्रेन से लगातार लड़ रहा है, वहीं यूक्रेन भी अपने सहयोगी देशों की मदद से रूस पर पलटवार कर रहा है। खुद क्रेमलिन पर भी हमला किया जा चुका है जिसे रूस ने अपने आत्मसम्मान पर किया गया हमला करार दिया है। जंग में भले ही किसी की जीत हो या हार, एक बात जरूर है कि कुछ निरीह लोगों को जान गंवानी पड़ती है तथा आपस में नफरत फैलती है।

इसीलिए किसी भी समस्या के समाधान के लिए अंतिम विकल्प के तौर पर ही जंग को समझा जाता है क्योंकि हर जंग के बाद आखिर बातचीत से ही समझौता या संधि होती रही है। 9 मई को रूस ने अपना विजय दिवस मनाया। यह वह खास दिन है जब नाजी जर्मनी को सोवियत संघ ने अपने मित्र देशों के साथ मिलकर 1945 में पराजित किया था। तब से लगातार इस दिन को रूस अपने विजय दिवस के रूप में मनाया करता है। लेकिन इस बार के इस खास दिन पर रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने देशवासियों को जो संदेश दिया है, उसे गंभीरता से समझने की जरूरत है।

पुतिन का कहना है कि उनका देश किसी से जंग नहीं लड़ रहा बल्कि दुश्मनों से रूस की रक्षा कर रहा है। उनका यह भी दावा है कि जिन इलाकों की आजादी के लिए दूसरा विश्वयुद्ध लड़ा गया था, अफसोस की बात है कि वे इलाके आज किसी और के कब्जे में हैं। उन्होंने विजय दिवस के माध्यम से रूसी समुदाय को पुराने दिनों की याद दिलाई और साफ कहा है कि पश्चिमी दुनिया के देश रूस की सुरक्षा के लिए खतरा बन गए हैं। इसका खास मतलब है। पुतिन ने कहीं भी जेलेंस्की या यूक्रेन का नाम नहीं लेकर यह बता दिया कि उन्हें यह ठीक से पता है कि पश्चिमी दुनिया के देशों की मदद से ही यह लड़ाई लंबी खिंच रही है।

उनके इस कथन में सच्चाई भी है। कहने को रूस से सीधा मुकाबला यूक्रेन का हो रहा है लेकिन जेलेंस्की के पीछे अमेरिका के साथ ही यूरोप के ज्यादातर देश खड़े हैं। नेटो में शामिल देशों की ओर से मिल रही मदद को भी सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। इसीलिए पुतिन ने कहा है कि हम अभी अपने बूते ही जंग लड़ रहे हैं। दूसरे विश्वयुद्ध में सोवियत संघ की फौजों ने जर्मनी के हिटलर के खिलाफ जो लड़ाई लड़ी थी, उसमें सोवियत संघ के साथ ब्रिटेन भी शामिल था। यहां तक कि जिस यूक्रेन की बात हो रही है, उसकी राजधानी कीव की आजादी के लिए भी सोवियत सेना को काफी संख्या में बलिदान देना पड़ा था।

पुराने इतिहास को याद दिलाने के साथ ही अपनी सेना के जवानों का मनोबल बढ़ाने का भी पुतिन ने काम किया। कुल मिलाकर विजय दिवस पर पुतिन ने यूक्रेन के साथ खड़ी ताकतों को सावधान करते हुए साफ किया है कि रूस अपनी सुरक्षा की लड़ाई लड़ रहा है तथा इस जंग में जो भी प्रतिपक्ष में है, उसे रूस अपना शत्रु मानता है। पुतिन की इस घोषणा को पश्चिमी दुनिया के देश किस नजरिए से देखेंगे, यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन कम से कम इतना जरूर साफ हो गया है कि रूस का लक्ष्य केवल कीव या जेलेंस्की ही नहीं, अमेरिका और उसके वे मित्र देश हैं जो जानबूझकर इस जंग को हवा दे रहे हैं, जिससे निर्दोष लोगों की जानें जा रही हैं। पुतिन का संदेश दुनिया के लिए बड़े खतरे की ओर इंगित करता है।