रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ममता सरकार पर लगाया गंभीर आरोप, कहा-

बंगाल में जमीन नहीं मिलने सेपरियोजनाओं पर काम रुका

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कोलकाता, सूत्रकार : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आख़िरी बजट गुरुवार को पेश किया, हालांकि यह अंतरिम बजट है। इसके बाद शाम को एक वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ममता सरकार पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस बार के बजट में पश्चिम बंगाल को13,810 करोड़ आवंटित किये गये हैं। जब भी रेल बजट पेश किया जाता है तो बंगाल को अधिक फंड दिया जाता है।

उसके बाद भी बंगाल सरकार रेलवे की परियोजनाओं को पूरा करने में सहयोग नहीं करती है। रेल मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की उदासीनता के कारण कई परियोजनाओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बंगाल सरकार रेलवे की परियोजनाओं को पूरा करने के लिए जमीन नहीं देती है। कई बार जमीन को लेकर प्रदेश की सीएम ममत बनर्जी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों से बातचीत की गयी है लेकिन फिर भी ढाक के तीन पात।

रेल मंत्री ने कहा कि मेट्रो के विस्तार के लिए जमीन नहीं मिल रही है। अगर जमीन मिल जाएगी तो वहां पर मेट्रो का विस्तार तेजी के साथ होगा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जहां जमीन मिल रही है, वहां के लोग काम नहीं करने दे रहे हैं। राज्य सरकार उन लोगों को नहीं समझा पाती है।

उन्होंने आरोप लगाया कि नंदग्राम-बालुरघाट में शुरू की गयी परियोजना जमीन के कारण पूरी नहीं हो पा रही है। कई बार नोटिफिकेशन होने के बाद राज्य सरकार जमीन नहीं दे रही है।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले मेट्रो रेल विस्तार के लिए रेलवे ने दक्षिणेश्वर में स्काईवॉक को तोड़ने को कहा था। इसको लेकर सीएम ममता ने कहा था कि मैं जब तक जिंदा हूं तब तक स्काईवॉक टूटने नहीं दूंगी।

इसके अलावा राज्य के शहरी विकास मंत्री और कोलकाता नगर निगम के मेयर फिरहाद हकीम ने भी कहा था कि चाहे जो हो जाए स्काईवॉक नहीं टूटेगा। उन्होंने कहा था कि रेलवे का अनुमोदन मिलने के बाद ही स्काईवॉक बनाया था।

वहीं, पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक मिलिन्द के देउस्कर ने कहा कि कई बार राज्य सरकार से जमीन की मांग की गयी है लेकिन हर बार रेलवे के अधिकारियों को खाली हाथ लौटना पड़ता है।

इधर पूरे के चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर (कंस्ट्रक्शन) प्रमोद कुमार शर्मा ने भी जमीन नहीं मिलने के कारण राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि पूरे बंगाल में करीब 35 से 40 परियोजनाओं का काम अधर में लटका हुआ है। इनमें कई परियोजनाएं 10 वर्ष पहले ही शुरू हुई थीं लेकिन अभी तक इस पर काम पूरा नहीं हुआ है।