राजनाथ और जोशी ने नड्डा से की मुलाकात

दस दिसंबर को हो सकती है विधायक दल की बैठक

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राजस्थान: भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान और मध्यप्रदेश के लिए पर्यवेक्षकों के नाम जारी कर दिए हैं। राजस्थान में राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े, सरोज पांडेय के नाम जारी किए गए हैं। वहीं, मध्य प्रदेश में मनोहर लाल, के. लक्ष्मण, आशा लकड़ा के नामों का एलान किया गया है।

चुनाव में जीत के पांच दिन बाद भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार को राजस्थान में पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है। राजस्थान में राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े, सरोज पांडे को जिम्मेदारी सौंपी गई है। राजस्थान के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए राजनाथ सिंह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। बता दें कि राजस्थान के लिए राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े और सरोज पांडे को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है।
राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रहे मंथन के बीच पर्यवेक्षकों की नियुक्ति से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। भाजपा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सरोज पांडे और विनोद तावड़े को राजस्थान के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। संभावना जताई जा रही है कि 10 दिसंबर को विधायक दल की बैठक हो सकती है। इस बैठक में ये तय हो जाएगा कि राजस्थान का अगला सीएम कौन होगा।
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। गुरुवार को विधायक ललित मीणा के पिता हेमराज मीणा ने उनके पुत्र पर बाड़ेबंदी करने जैसे गंभीर आरोप लगा दिए। वहीं, जानकारी यह भी है कि राजस्थान भाजपा ने बागियों को लेकर एक रिपोर्ट दिल्ली भेजी है, जिसमें 45 नामों का जिक्र किया गया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि बागियों के चलते करीब 10 से ज्यादा सीटें भाजपा ने खो दी हैं। सूत्रों के मुताबिक भाजपा इन चुनावों में 130 तक सीटें जीतने का अनुमान लेकर चल रही थी, लेकिन 115 सीटें ही मिल पाईं। खास बात ये है कि इनमें से ज्यादातर नाम राजे के समर्थकों के बताए गए हैं। इनमें जयपुर, अलवर, चूरू, नागौर समेत पूर्वी राजस्थान के कुछ अन्य जिले भी शामिल हैं।

मौजूदा हालातों में इस वक्त भाजपा पदाधिकारियों और वसुंधरा राजे के बीच सीधे तौर पर टकराव की स्थिति नजर आ रही है। चुनाव नतीजे आने के दूसरे दिन ही राजे ने अपने आवास पर विधयकों को रात्रि भोज पर आमंत्रित किया था। इसमें करीब 40 विधायक शामिल भी हुए। इनमें से कुछ विधायकों ने बाहर आकर राजे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग भी सार्वजनिक रूप से रखी। इसके दो दिन बाद ही विधायकों को रिसॉर्ट में ले जाने की घटना भी घट गई। इन सभी बातों का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है।