रांची डीसी, डीएलएओ और भूमि संरक्षण विभाग के निदेशक हाईकोर्ट में हुए हाजिर

हाईकोर्ट ने मौखिक कहा, कोर्ट के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं हुआ

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रांची : जमीन मुआवजा से जुड़े शहनाज खातून की अवमानना याचिका की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में हुई। मामले में रांची डीसी राहुल कुमार सिन्हा, डिस्टिक लैंड एक्विजिशन ऑफिसर (डीएलएओ) अंजना दास और डायरेक्टर, भूमि संरक्षण विभाग कोर्ट में सशरीर हाजिर हुए।

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश शंकर की कोर्ट ने उनसे मौखिक कहा कि कई वर्ष बीत गए कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया है, क्यों नहीं उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए।

मामले में राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता मनोज कुमार ने कोर्ट से 1 माह का समय मांगा। कहा कि हाई कोर्ट की खंडपीठ के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जहां वह विचाराधीन है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 3 फरवरी निर्धारित की। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता कुमार हर्ष ने पैरवी की।

दरअसल, कांके के राहे गांव में करीब 1.17 एकड़ गैरमजरूआ मालिक जमीन को उसके मालिक को बगैर सूचित किए और उससे अनुमति लिए बिना सरकार के कृषि विभाग की ओर से वहां तालाब बनवाया गया। जिसके खिलाफ प्रार्थी ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर विस्थापन का मुद्दा उठाया था।

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने वर्ष 2018 में कहा कि चुकी इस जमीन पर तालाब बन चुका है इसमें पब्लिक फंड जुड़ा है , इसलिए उस जमीन पर मालिक को पुनःस्थापित नहीं किया जा सकता है।

लेकिन जमीन अधिग्रहण की अधिनियम के अंतर्गत जमीन मालिक को मुआवजा दिया जाए। उसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट की खंडपीठ में अपील दाखिल की. जिस पर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने सरकार पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी। कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर प्रार्थी की ओर से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई थी।

 

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