राशन दुकानों को स्वयं सहायता समूहों को सौंपने के निर्णय पर करें पुनर्विचारः सौगत राय

प्रधानमंत्री से 'गरीब कल्याण योजना' की अवधि बढ़ाने की मांग

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कोलकाताः पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने केंद्र सरकार के राशन दुकानों को स्वयं सहायता समूहों को सौंपे जाने के फैसले का विरोध जताया है।

टीएमसी सांसद सौगत राय ने केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में केंद्रीय परियोजना का विरोध जताया है। वहीं, तृणमूल सांसद ने अन्य एक केंद्रीय परियोजना के विस्तार की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अलग से पत्र लिखा है।

सौगत ने निजी स्वामित्व वाली राशन दुकानों को स्वयं सहायता समूहों को सौंपने के  प्रस्ताव का विरोध किया। उत्तर 24 परगना जिले के दमदम से सांसद ने केंद्रीय खाद्य मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि मंत्रालय ने 2 लाख 78 हजार 533 निजी स्वामित्व वाली राशन दुकानों को स्वयं सहायता समूहों को सौंपने पर विचार किया है।

इसका टीएमसी ने विरोध जताते हुए केंद्र से इस पर पुनर्विचार करने की मांग की है।

सौगत ने कहा कि उन्होंने केंद्र से फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। इस योजना के लागू होने पर 2 लाख 78 हजार 533 परिवारों को सड़क पर बैठना पड़ेगा।

उन्होंने केंद्र से नई राशन दुकानों के संदर्भ में योजना को क्रियान्वित किया जाए, क्योंकि यदि राशन दुकानों को स्वयं सहायता समूहों को दे दिया गया तो उसके मालिकों को कमाई का कोई नया जरिया नहीं मिलेगा।

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प्रधानमंत्री से ‘गरीब कल्याण योजना’ की अवधि बढ़ाने की मांग

टीएमसी सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। उस पत्र में सौगत ने ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया है।

उन्होंने लिखा है कि ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ की अवधि 31 दिसंबर को समाप्त होने जा रही है। राय ने अपने पत्र में केंद्र से गुजारिश की है कि इसे और 6 महीने के लिए बढ़ाया जाना चाहिए।

टीएमसी सांसद ने अपने पत्र में लिखा है कि कोरोना के प्रभाव से अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों के लोग मुक्त नहीं हो पाए हैं। उन्हें जो आर्थिक नुकसान हुआ है वह तो हुआ ही है। इसके साथ ही कृषि क्षेत्रों का नुकसान भी अभी तक अपूरणीय है।

इसलिए ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण’ योजना को और 6 महीने के लिए बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने पत्र में लिखा है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार खोने के बाद रह रहे लोगों को भोजन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

इस योजना के तहत देशभर के करीब 80 करोड़ 33 लाख लोगों को राशन मिलता है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने इस बीच इस योजना की अवधि में 8 बार बढ़ोतरी की गयी है।