कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट ने कुंतल घोष को 25 लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया था। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को स्थगित कर दिया है। मामले की सुनवाई शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने किया। वहीं कुंतल घोष को जेल में प्रताड़ित किए जाने की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के जिस मजिस्ट्रेट के पास यह मामला है, उसी के पास जाना होगा। यानी कोर्ट ने इस घटना की जांच मजिस्ट्रेट स्तर पर ही कराने का आदेश दिया। लिखित शिकायत में कुंतल घोष ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जांच एजेंसी ईडी उन पर पूछताछ के दौरान अभिषेक बनर्जी का नाम लेने का दबाव बना रहा है। ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने इस आरोप का कड़ा विरोध किया।
कुंतल घोष के वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि कुंतल घोष हाई कोर्ट नहीं गये। ईडी की ओर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया जहां कुंतल घोष पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। कुंतल घोष की शिकायत पर ईडी के वकील ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि कुंतल घोष को जनवरी में गिरफ्तार किया गया था। कुंतल ने यह आरोप अभिषेक बनर्जी द्वारा एक सार्वजनिक बैठक में दिए गए एक बयान के बाद लगाया था। दो माह तक उन्होंने ऐसी कोई शिकायत नहीं की।
कुंतल घोष के वकील ने कहा कि ईडी हिरासत में प्रताड़ित किये जाने के बाद कुंतल ने जेल अधीक्षक के माध्यम से शिकायत की थी। यह शिकायत हेस्टिंग्स पुलिस स्टेशन को भेजी गई। इसके बाद ईडी कलकत्ता हाई कोर्ट पहुंची जहां कुंतल के खिलाफ 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह जानना चाहा कि शिकायत दर्ज करने में दो महीने क्यों लग गए। रिमांड मजिस्ट्रेट से संपर्क करना चाहिए था। कोर्ट ने यह भी कहा कि रिमांड मजिस्ट्रेट इस मामले को देखेंगे।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने आदेश दिया कि ईडी और सीबीआई तृणमूल के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से पूछताछ कर सकता है। साथ ही, उन्होंने अभिषेक और कुंतल को 25 लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया। अभिषेक के जुर्माने पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्टे दे चुका है। इस बार सुप्रीम कोर्ट ने कुंतल के मामले में भी यही आदेश दिया।