राज्यपाल एवं राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आदिवासी भूस्वामियों को न्याय दिलाने की मांग

A.C.C. सीमेंट कम्पनी झींकपानी चाईबासा में आदिवासी जमीन मालिकों को न्याय दिलाने के लिए जिप सदस्य झीकपानी जॉन मिरल मुण्डा नें राज्यपाल व राज्य के मुख्यमंत्री से पत्र लिख कर गुहार लगाया है।

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चाईबासा : झारखण्ड में इन दिनों जमीन घोटाला का मामला जोड़ो से तूल पकड़ रहा है।ऐसी ही कई मामले पश्चिमी सिंहभूम जिले में भी देखने व सुनने को मिल रही है।चाईबासा जिला मुख्यालय में तो सरकारी जमीन को संघ संगठन के नाम पर इस कदर बांट दी गई है,यदी इस मामले की जांच हुई तो पश्चिमी सिंहभूम जिले में भी बड़े पैमाने पर जमीन घोटाला का खुलाशा होगा। ऐसी ही मामले को लेकर झीकपानी प्रखंड के जिलापरिषद सदस्य जॉन मिरल मुण्डा नें A.C.C. सीमेंट कम्पनी झींकपानी चाईबासा में आदिवासी जमीन मालिकों को न्याय दिलाने के लिए जिप सदस्य झीकपानी जॉन मिरल मुण्डा नें राज्यपाल व राज्य के मुख्यमंत्री से पत्र लिख कर गुहार लगाया है। इस सबंध में आदिवासी जमीन मालिकों का कहना है कि A. C. C. सीमेंट कम्पनी झींकपानी वर्ष 1944 से झींकपानी के जोड़ापोखर एवं कुदाहातु गाँव के आदिवासियों के रैयती जमीन पर स्थापित कर विकास के लिए एक उम्मीद बनी थी। शुरू में यह कारखाना क्षेत्र का विकास 21 सौ स्थाई मजदूर के रूप में रोजगार देने, C.S.R. फण्ड से ग्रामिण विकास गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, चिकित्सा, पेयजल सुविधा एवं खेलकुद को प्रात्साहित कराना आदि सहायता कराता था। 7 तारिख को पगार के रूप में बहुत बड़ा बाजार लगता था जो पूरे क्षेत्र में अपना खासा पहचान बना चुका था। मजदूर भी कम्पनी द्वारा सीमेंट वेज बोर्ड के तहत मजदूरी एवं सुविधाऐं पाकर काफी खुश थे। इससे एसीसी कम्पनी के अगल बगल के गाँव क्षेत्र में विकास का कार्य प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से होने के कारण काफी खुश थे परन्तु वर्ष 2000 के बाद यह कम्पनी यहाँ के मजदूरों को बलात V.W.S. कराकर बड़े पैमाने पर काम से बैठाना शुरू कर दिया। कम्पनी में ठेकेदारी प्रथा बढ़ गई। मजदूरों का पी०एफ० घोटाला, मजदूरी घोटाला, सुविधाओं में कटौती होना शुरू हो गया। वर्तमान खदान का लीज नहीं मिलने के कारण स्थाई मजदूर नहीं के बराबर हैं। ए०सी०सी० कॉलोनी विरान सा हो गया है। क्षेत्र में रौनक खत्म हो गया है। यहाँ के स्थानीय बेरोजगार पलायन करने को मजबूर हो गए। इससे भी बड़ा दुर्दशा हम जमीन मालिकों का हो गया है क्योंकि कम्पनी प्रबंधन शुरू में हमारे पूर्वजों को रेशम का पगड़ी के साथ सम्मान देते थे साथ में नौकरी भी परन्तु आज बहुत जमीन मालिक दो वक्त की रोजी रोटी के लिए तरस गए है। हमारी काफी जमीनें कम्पनी के अन्दर-बाहर अवैध लीज से आज भी कम्पनी इस्तेमाल कर रही है जिससे हम आज भूमिहीन हो गए है साथ ही साथ वर्तमान में भुखमरी के हालात में गुजर बसर करने को मजबूर हैं। अतः हम आपसे अपने जमीन के बदले विकास का मॉंग करते हैं :-

 

(1) ए०सी०सी० सीमेंट कम्पनी वर्तमान से अडाणी समूह के द्वारा संचालित हो रही है। पूर्व में हमारा ए०सी०सी० सीमेंट कम्पनी के नाम से जमीन का लीज के रूप में अधिग्रहण हुआ था परन्तु वर्तमान में हमसे बिना सहमति के अडाणी समूह को लीज किस आधार पर दिया गया है ? हम अपना जमीन के एवज में नौकरी एवं मुवावजा से वंचित होना नहीं चाहते। इसलिए सरकार अडाणी ग्रुप के साथ हमारा लीज को नए सीरे से समझौता कराये वरना इसका लोकतांत्रिक रूप से विरोध किया जाएगा।

(2) ए०सी०सी० सीमेन्ट कम्पनी हर 30 साल का लीज नवीकरण हम रैयतों को बिना लाभ दिए ही अब तक लेते आ रह हैं। कम्पनी प्रबन्धन हमारे जमीन से सीमेंट उत्पादन कर अरबों खरबों कमा लिए लेकिन हम जमीन मालिक फटेहाल रह गए। हम जमीन मालिकों का घर पक्का नहीं हुआ है। इसलिए पूर्व का कम्पनी को अवैध रूप से संचालन करने के लिए हमारा जमीन का इस्तेमाल करने के एवज में सभी रैयतों को हिसाब ए०सी०सी० कम्पनी प्रबंधन के द्वारा जमीन मालिकों को नौकरी नहीं दिए जाने का खुलासा वर्ष 2013 में विधान सभा जॉच कमेटी के द्वारा दिए गए रिपोर्ट में हुआ है। दुःखद बात यह है कि इसका अनुपालन आज तक जिला प्रशासन और न ही सरकार ने कराया है जिससे हमलोगों को न्याय मिल सके। अतः हम सभी जोड़ापोखर कुदाहातु एवं बासाहातु के जमीन मालिक रोजगार एवं मुवावजा के लिए 04 को अनुमण्डल कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन करेंगे।