एबीवीपी से राजनीति शुरू करने वाले ने कांग्रेस को तेलंगाना जीता दिया

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हैदराबाद : चार राज्यों के चुनाव नतीजों में कांग्रेस को बस झटका ही लगा है। चार में दो राज्य कांग्रेस के हाथ से निकल गए। लेकिन किसी राज्य ने कांग्रेस की इज्जत को बचायी है तो वो है तेलंगाना। यहां पर कांग्रेस ने प्रचंड जीत हासिल करने की ओर अग्रसर है और बीआरएस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने की ओर। केसीआर जिनके खिलाफ कई आरोपों को लगाकर कांग्रेस इस बार पूरी तरह से जोरदार प्रचार अभियान उनके खिलाफ चलाया था, उसका परिणाम आज कांग्रेस को मिल गया है। इस जीत का सेहरा जितना कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के सर पर सज रहा है, उतना ही तेलंगाना कांग्रेस के चीफ रेवंत रेड्डी को भी।


यदि अनुमान नतीजों में बदलते हैं, तो कर्नाटक के बाद एक और दक्षिणी राज्य में कांग्रेस की अपनी सत्ता होगी। वहीं चुनाव परिणाम के साथ सबसे ज्यादा चर्चा जिस बात की हो रही है, वह है कि राज्य में कांग्रेस मुख्यमंत्री पद की कमान किसे देगी।
ऐसे में तेलंगाना में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरों में फिलहाल सबसे बड़ा नाम प्रदेश अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी का है। ऐसे में हमें जानना चाहिए कि आखिर कौन हैं रेवंत रेड्डी? उनका सियासी रसूख कितना है? उन्हें सीएम बनाने के क्या कारण हो सकते हैं?


आपको जानकर आश्चर्य होगा की तेलंगाना कांग्रेस के चीफ की राजनीति शुरूआत बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी से हुई थी। फिर उन्होंने 2006 में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ा और मिडजिल मंडल से जिला परिषद क्षेत्रीय समिति के सदस्य चुने गए।

इसके बाद 2007 में निर्दलीय ही आंध्र प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बन गए। इस कार्यकाल के दौरान उनकी मुलाकात तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू से हुई और आखिरकार वह पार्टी का हिस्सा बन गए। 2009 में रेवंत ने टीडीपी के टिकट पर अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और 6,989 वोटों से जीत दर्ज की। कोडंगल सीट से उतरे रेवंत कांग्रेस के पांच बार के विधायक गुरुनाथ रेड्डी को हराकर पहली बार विधायक बने थे।

तेलंगाना गठन से पहले 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में रेवंत एक बार फिर कोडंगल सीट से टीडीपी के उम्मीदवार बने। एक बार फिर उन्होंने गुरुनाथ रेड्डी को हराया, जो इस बार टीआरएस के उम्मीदवार थे। 2014 के विधानसभा चुनाव में रेवंत 14,614 वोटों के अंतर से विजयी हुए थे। इसके बाद टीडीपी ने रेवंत को तेलंगाना विधानसभा में नेता सदन बनाया दिया। हालांकि, 25 अक्तूबर 2017 में टीडीपी ने रेवंत को इस पद से बर्खास्त कर दिया, जब पता चला कि वह कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं। अंततः 31 अक्तूबर 2017 को रेवंत कांग्रेस के सदस्य बन गए। फिर कांग्रेस से 2018 का विधानसभा चुनाव हार गए लेकिन 2019 का लोकसभा चुनाव जीत गए। कांग्रेस की ओर से उनको सबसे बड़ी जिम्मेदारी देते हुए उनको तेलंगाना कांग्रेस का चीफ बना दिया गया। और बीआरएस के खिलाफ ऐसा प्रचार अभियान चलाया की पहली बार बीआरएस विधानसभा चुनाव हार गई है। इस विधानसभा चुनाव में रेवंत तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के सामने चुनाव लड़ रहे हैं। यह मुकाबला सिद्दिपेट जिले की गजवेल विधानसभा सीट पर है। यहां रेवंत अब तक आगे चल रहे हैं।