कोलकाता, सूत्रकार : राशन भ्रष्टाचार के आरोप में पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक इस समय जेल में हैं। वे फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं। हालांकि, ईडी अपने तरीके से जांच आगे बढ़ा रही है और जांच में जो तस्वीर सामने आ रही है वो भयानक है।
ऐसा प्रतीत होता है कि वर्षों से राशन का चावल चोरी हो रहा है। लेकिन इसकी परवाह किसी को नहीं थी। लेकिन आख़िर इस सरकारी चावल की चोरी हुई कैसे? कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? दावा है कि पिछले 12 साल से इस चावल चोरी की शिकायत मिल रही है। लेकिन आरोप है कि इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जांच अधिकारी इस वजह के स्रोत तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। जांच करने पर ईडी को पता चला कि शिकायत दर्ज होने के बाद केवल लीपापोती करने का प्रयास किया गया था। कुछ मामलों में सिर्फ नोटिस जारी किये गये। कुछ मामलों में मामूली दिशानिर्देश जारी किए गए। लेकिन काम कुछ नहीं था और चावल चोरों ने उस अवसर का लाभ उठाया।
शुरुआती जांच में पता चला है कि करीब 50 करोड़ के चावल और गेहूं की चोरी हुई है। कथित तौर पर लगभग 4000 मीट्रिक टन चावल चोरी कर लिया गया था। कुछ मामलों में खाद्य विभाग और वितरकों के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाए गए लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि चोरी रोकने के लिए क्या कुछ किया गया।
वर्षों तक चावल चोरी की घटना के बाद वितरकों के गोदामों से चावल चोरी हुआ तो खाद्य विभाग चुप क्यों रहा? चावल चोरों ने आम लोगों की राशन सामग्री भी बांट ली लेकिन खाद्य विभाग ने आंखें मूंद लीं। ऐसी शिकायत है।
ऐसे संकेत मिले कि नदिया, उत्तर और दक्षिण 24 परगना में कई घटनाएं हुईं। मूल रूप से जो देखा जा रहा है वह यह है कि जो चावल और गेहूं वितरकों के गोदामों को दिया गया वह राशन की दुकानों में नहीं गया। वहां से यह सीधे खुले बाजार में चला जाता है। हालांकि, ज्योतिप्रिय ने बार-बार कहा है कि वह निर्दोष हैं। हालांकि, विपक्ष का दावा है कि यह जानना जरूरी है कि ज्योतिप्रिय मल्लिक कितने साल सोये थे।