जातीय जनगणना को आधार बना कर गैरआदिवासियों के बीच पैठ बनाना चाहती है राजद

झारखंड में आदिवासी, पिछड़ा,दलित का नया समीकरण बनाने की तैयारी

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उपेंद्र गुप्ता 

रांची : बिहार में सरकार बनाने के बाद अब राष्ट्रीय जनता दल झारखंड में अपनी जमीन तलाशने में जुट गई है । राजद की नजर झारखंड में गैर आदिवासी वोटरों पर है. इसके लिए राजद ने बिहार की तरह झारखंड में भी जातीय जनगणना को आधार को बनाना चाहती है. तेजस्वी यादव ने अपने दो दिवसीय झारखंड दौरे में इसके साफ संकेत भी दिया है । एक तरफ तेजस्वी ने 1932 खतियान का समर्थन कर आदिवासी-मूलवासी को लुभाने का प्रयास किया है, वहीं सीएम हेमंत सोरेन को झारखंड में भी बिहार की तरह जातीय जनजणना की सलाह देकर अपने मंसूबे साफ कर दिया ।
1932 का समर्थन और जातीय़ जनगणना की सलाह

बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने रांची में आयोजित कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में अपने संबोधन में 1932 के खतियान पर तो नहीं बोलें, लेकिन मीडिया के सवाल पर तेजस्वी ने जरूर कहा कि वे हेमंत सरकार के फैसले के साथ हैं । उन्होंने साफ कहा कि सीएम हेमंत सोरेन के कैबिनेट उनका राजद कोटे से भी एक मंत्री हैं । तेजस्वी ने कहा कि झारखंड में झामुमो और हेमंत सरकार की प्राथमिकता आदिवासी ही है इसलिए उनके फैसले से सहमत है । इसलिए  तेजस्वी ने जहां 1932 के मुद्दे पर सीएम हेमंत सोरेन का साथ दे दिया, तो वहीं झारखंड में भी जातीय जनगणना कराने की सलाह दे दी । इसके पीछे वजह साफ है झामुमो आदिवासियों में पैठ को मजबूत बनाएं तो राजद बिहार की तरह झारखंड में पिछड़ा, दलित समीकरण को गोलबंद करेगी । इससे आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में झामुमो और राजद एक साथ आदिवासी, पिछड़ा और दलित के साथ अल्पसंख्यकों जोड़कर  नया समीकरण बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं । इस समीकरण के तहत राजद और झामुमो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में  भाजपा को पटकनी देने की योजना बना रहे हैं ।

झारखंड में जातीय जनजणना कराएंगे हेमंत सोरेन

तेजस्वी की सलाह को सीएम हेमंत सोरेन किस रूप में लेंगे, यह अभी तो साफ नहीं है । लेकिन सवाल यह जरूर है कि क्या सीएम हेमंत सोरेन राज्य में जातीय जनजणना कराएंगे ?

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