न जलेगी धूनी न निकलेगी भभूत तो कोलकाता में कैसे रमेंगे नागा साधु

बाबूघाट के आस-पास साधुओं का लगने लगा है जमावड़ा

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राकेश पाण्डेय

कोलकाताः सनातन परंपरा में गंगा सागर की तीर्थयात्रा का बहुत महत्व है। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में जो स्नान और दान का महत्व है, वह श्रद्धालु को कहीं दूसरी जगह नहीं मिलता है। यही कारण है कि पश्चिम बंगाल के इस सबसे बड़े मेले में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

गंगा सागर की तीर्थ यात्रा के बारे में कहा जाता है कि ‘सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार।’ इस कहावत के पीछे मान्यता यह है कि जो पुण्यफल की प्राप्ति किसी श्रद्धालु को सभी तीर्थों की यात्रा और वहां पर जप-तप आदि करने पर मिलता है, वह उसे गंगा सागर की तीर्थयात्रा में एक बार में ही प्राप्त हो जाता है।

गंगासागर मेला पश्चिम बंगाल में कोलकाता के निकट हुगली नदी के तट पर ठीक उसी स्थान पर किया जाता है, जहां पर गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। सरल शब्दों में कहें तो जहां पर गंगा और सागर का मिलन होता है, उसे गंगासागर कहते हैं।

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आउट्राम घाट पर  शिविर की तैयारियों में जुटी स्वयं संस्था के सदस्य गंगासागर तीर्थयात्रा के अहम पड़ाव कोलकाता के आउट्राम घाट के पास मैदान में ट्रांजिट शिविर की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।

राज्य सरकार दूर-दराज से आने वाले तीर्थयात्रियों की सेवा करने वाली संस्थाओं के लिए अस्थाई बुनियादी ढांचा खड़ा करने में युद्ध स्तर पर जुट गई है।

बाबूघाट के आस-पास साधुओं का लगने लगा है जमावड़ा

बाबूघाट के आस-पास साधुओं का जमावड़ा भी लगने लगा है। इन सबके बीच कोलकाता नगर निगम का आदेश साधु समाज को चिंतित कर रहा है जिसमें शिविर स्थल के आस-पास लकडिय़ां जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। नागा साधु अपने तन पर भस्म लपेटते हैं, जो उनके सामने जलने वाली धूनी से आती है। धूनी लकडिय़ों से तैयार होती है। अब-जब लकडिय़ां नहीं जला सकेंगे तो धूनी कैसे तैयार होगी और जब धूनी नहीं जलेगी तो भस्म या भभूत कैसे रमाएंगे।

इस बार गंगा सागर मेले में पहली बार बनेगा ग्रीन कॉरिडोर

गंगासागर मेला 8 जनवरी से शुरु होगा और 17 जनवरी तक चलेगा। 14 और 15 जनवरी को पवित्र स्नान है। प्रशासन को उम्मीद है कि हर बार की तरह इस बार भी गंगासागर मेले में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी।

पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति पर लगने वाले गंगासागर मेले को लेकर प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विशेष सुविधाओं का एलान किया है। गंगासागर में पहली बार ग्रीन कॉरिडोर बनेगा।

इस मेले को लेकर करीब 10 मंत्रियों की ड्यूटी अलग-अलग जगहों पर लगाई गई है। इस बार कुंभ का मेला नहीं लगने के कारण गंगासागर में सभी रिकॉर्ड टूटने की आशंका जताई जा रही है।

तीर्थ यात्रियों की स्वास्थ्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए एंबुलेंस को लेकर भी खास तैयारियां की गई हैं। गंगासागर में वैसे तो हर बार ही भारी तादाद में श्रद्धालु स्नान के लिए जाते हैं लेकिन कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो सालों से श्रद्धालु पहुंच नहीं पाए तो इसलिए इस साल गंगासागर पर भारी भीड़ होने की उम्मीद जताई जा रही है।

आउट्राम घाट पर आए साधुओं का क्या कहना है
आउट्राम घाट पर आए साधुओं ने बताय़ा कि हर वर्ष की तुलना में इस वर्ष काफी व्यवस्था की गयी है। उन लोगों ने बताया कि राज्य सकरार और कोलकाता नगर निगम के अधिकारी अभी से ही उनकी खोजखबर लेने के लिए आ रहे हैं।

अभी से ही पहुंचने लगे हैं तीर्थयात्री

गंगा सागर मेले के शुरु होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं लेकिन आउट्राम घाट पर अभी से ही तीर्थ यात्रियों का आना शुरु हो गया है। सोमवार की सुबह में ही महाराष्ट्र से तीर्थ यात्रियों का एक जत्था यहां पहुंचा।

उस जत्थे में आए तीर्थ यात्रियों ने कहा कि जैसे-जैसे मेले का दिन नजदीक आते जाता है, वैसै-वैसै भीड़ बढ़ती जाती है,  इसलिए वे लोग पहले ही आ गए हैं। उन लोगों ने बताया कि वे लोग आज ही पहुंचे हैं और कल सुबह-सुबह गंगासागर के लिए निकल जाएंगे।