सैनिकों के लिए बना Sanitary Pad, महिलाओं के लिए साबित हो रहा वरदान!!

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ब्यूरो रांची : सैनिकों के सुरक्षार्थ बना सैनिटरी पैड आज महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। मालूम हो की सेनेट्री पैड का अविष्कार सैनिकों के युद्ध के दौरान गोली लगने या घायल होने पर रक्त बहाव कम हो और टिटनेस जैसी गंभीर बीमारी से ये बच सके। इसकी उपयोगिता सार्थक सिद्ध होने के बाद एक दिन जनहित की बात सोचने वाले इसे महिलाओं की मासिक धर्म से जोड़ कर देखा। बता दे कि कई साल पहले लोग पैड का नाम लेने से हिचकिचाते थे। लोग इनके बारे में सार्वजनिक बात करना तो दूर, इसे घरवालों से छुपाया करते थे। आज इतने सालों बाद भी लोग पैड को काली पॉलीथिन या पेपर में लपेटकर दुकानों से ले जाते हैं। मगर 2018 में आई फिल्म के बाद लोग अब पैड और पीरियड्स के प्रति जागरूक होने लगे हैं।

महिलाएं अब इनके विषय में खुलकर बात करती हैं, इतना ही नहीं अब कई जगहों पर महिलाओं को पीरियड्स लीव भी दी जाती है। लोग शायद यह जानकर हैरान होंगे कि पैड का आविष्कार महिलाओं के लिए नहीं बल्कि पुरुषों के लिए किया गया था। जी हां, माय पीरियड ब्लॉग की एक पोस्ट के मुताबिक पहली बार सेनेटरी पैड का इस्तेमाल प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान किया गया था। कहा जाता है कि फ्रांस की नर्सों मे प्रथम विश्वयुद्ध के घायल सिपाहियों के खून के बहाव को रोकने के लिए यह पैड्स बनाए थे, जब किसी सिपाही को गोली लगती या खून बहुत ज्यादा बहता तब इन पैड्स का इस्तेमाल किया जाता।

इन नैपकिन को बनाने के लिए ऐसे सामानों का इस्तेमाल किया गया था जो युद्ध के समय में बड़ी आसानी से मिल जाते थे। यह पैड्स सस्ते होने के साथ-साथ डिस्पोजेबल भी थे, जिन्हें इस्तेमाल करके आसानी से डिस्पोज किया जा सकता था। जब पुरूषों के लिए ये पैड तैयार किए जा रहे थे, उसी दौरान वहां काम कर रही महिला नर्सों ने पैड्स को अपने पीरियड्स के दिनों में भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। तब से ये मेंस्ट्रुअल पैड्स के रूप में इस्तेमाल किए जाने लगे। हलांकि युद्ध के पहले भी महिलाएं पीरियड्स से जुड़े सामानों का इस्तेमाल करती थीं।

करीब 1888 के दौरान डिस्पोजेबल पैड्स बनाए गए थे, बता दें कि 1896 में पहली बार जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने अपने पहले सेनेटरी टॉवल की शुरुआत की, जिसका नाम लिस्टर्स टॉवल रखा गया। इन सेनेटरी प्रोडक्ट्स को रेक्टैंगल कॉटन वूल या इसी तरह के कई दूसरे फाइबर की मदद से तैयार किया गया था। उस समय में यह बेल्ट्स बहुत महंगे हुआ करते थे जिन्हें आम लोग नहीं खरीद सकते थे, इस कारण उस दौर में भी लोग पीरियड्स के दिनों में कपड़ों का इस्तेमाल करते थे।

कहा जाता है कि सन् 1900 के करीब अमेरिकी महिलाएं सेनेटरी बेल्ट का इस्तेमाल करती थीं। हालांकि ये बेल्ट बहुत महंगी होती थीं जिस कारण बहुत कम महिलाएं ही इसका इस्तेमाल कर पाती थीं। इसके बाद 1950 आते-आते महिलाओं के लिए डिस्पोजेबल सेनेटरी बेल्ट बनाई गई, पर यह भी आम महिलाओं की पहुंच से बिल्कुल दूर थीं। 1960 के दशक में महिलाओं के बीच वॉशएबल क्लॉथ पैड का इस्तेमाल शुरू हुआ, जिसे कई देशों में महिलाएं इस्तेमाल करती थीं। यह कपड़े के बने पैड्स काफी इको फ्रेंडली थे, इसके अलावा इन्हें बार-बार यूज किया जा सकता था।

1970 के दशक में महिलाओं के पीरियड्स के लिए मैक्सी पैड्स की शुरुआत हुई, उसी दौरान 1972 में अमेरिका ने महिलाओं के सेनेटरी पैड्स के ऐड्स पर लगे ऐड बैन हटा दिया। आज बाजार में कई ब्रांड्स के सेनेटरी पैड्स मिलते हैं महिलाएं किसी भी जनरल स्टोर से इन्हें खरीद सकती हैं। बीते समय में भारत में टोम्पोन और मेंस्ट्रुअल कप भी मिलने लगे हैं, हालांकि इसके बावजूद भी महिलाएं पैड्स को चुनती हैं। हालांकि ये पैड्स अभी भी काफी महंगे हैं, जिस वजह से गांव की महिलाएं आज सेनेटरी पैड्स की जगह कपड़ा इस्तेमाल करने पर मजबूर होती हैं। इतना ही नहीं उन्हें कई इंफेक्शन से भी जूझना पड़ता है, पैड के इतने सालों पहले आविष्कार के बावजूद भी आज तक सभी महिलाओं के पास यह पहुंच नहीं पाया है।

 

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