रामगढ़ में दिखा चिपको आंदोलन का दृश्य, बच्चे महिलाएं उतरे वृक्ष बचाने

185

रामगढ़ : पेड़ों के अंधाधुंध कटान से मानव जीवन बुरी तरह प्रभावित है. इससे जहां ऑक्सीजन की कमी होने लगी है. वहीं मौसम का चक्र भी पूरी तरह बिगड़ गया है. वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है. बिगड़े वायुमंडल के चलते सांस, संक्रमण जैसी बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है. ऐसे में हम सभी को वृक्षों को सहेजने की तरफ बढ़ना होगा.  ताकि न सिर्फ प्राणवायु का स्तर सुधारा जा सके, बल्कि पर्यावरण भी बचाया जा सके. पेड़ों के लगातार कटान होने की वजह से दिन प्रतिदिन वन क्षेत्र घटता जा रहा है. आवासीय जरूरतों, उद्योगों के लिए सालों से पेड़ों को काटा जा रहा है. वृक्षों के संरक्षण के लिए बने नियम और कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. इससे न सिर्फ प्राकृतिक संरचना बिगड़ रही है. बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदायक साबित हो रहा है. ऑक्सीजन को बचाने के लिए वृक्षों को बचाना होगा. वही बता दे कि झारखंड में पेड़ों को काटने की योजना के खिलाफ. रामगढ़ के बूढ़ा खाप वनक्षेत्र महिलाएं गोलबंद हो गई हैं. महिलाएं चिपको आंदोलन की तर्ज पर पेड़ों से लिपटकर उन्हें काटने की योजना का विरोध कर रही हैं. महिलाओं का आरोप है कि यहां एक निजी कंपनी के विस्तार के लिए पेड़ काटे जाएंगे. इसके लिए उन्हें चिन्हित करने का काम शुरू हुआ है.

 

ये भी पढ़ें :  दुल्हन जोड़े में पहुंची नमिता परीक्षा देने, बाद में हुई बिदाई

 

चिपको आंदोलन की तर्ज़ पर अड़ी महिलाएं :

ग्रामीणों का कहना है कि एक दिन पहले ही विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली गई और मात्र चौबीस घंटे बाद ही वनक्षेत्र के पेड़ों को काटने की तैयारी की जाने लगी. पेड़ों को काटने की योजना के बारे में पता चलते ही बूढ़ा खाप वनक्षेत्र के आसपास की दर्जनों ग्रामीण महिलाएं पेड़ों से लिपटते हुए. इसका विरोध करने लगीं. सूचना पाकर पहुंचे कुजू ओपी प्रभारी विनय कुमार समेत अन्य पुलिस बल के जवान महिलाओं को समझाने बुझाने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन महिलाएं मानने के लिए तैयार नहीं थीं. ग्रामीणों में प्लांट के खिलाफ डर की भावना हो गयी है. इधर इस मामले में निजी कंपनी के प्रबंधन ने कहा कि ग्रामीणों में प्लांट के खिलाफ एक डर की भावना पैदा की गई है. प्लांट के विस्तारीकरण को लेकर वन विभाग से जमीन खरीदने व वनभूमि पर लगे पेड़ को हटाने का कार्य प्रारंभ किया गया है. इस प्रक्रिया से फिलहाल कंपनी का कुछ भी लेना-देना नहीं है. जब उक्त वनक्षेत्र की जमीन कंपनी को उपलब्ध होगी. तब ली गई जमीन से अधिक जमीन और लगे पेड़ से ज्यादा पेड़ के साथ आवश्यक शुल्क कंपनी राज्य सरकार को देगी. यहां उल्लेखनीय है कि इलाके की ग्रामीण महिलाएं पहले से प्लांट से होने वाले प्रदूषण को लेकर पहले से आंदोलन कर रही हैं. अब यहां वनक्षेत्र के पेड़ों को काटे जाने को लेकर चिन्हित करने का काम शुरू किए जाने से ग्रामीण भड़क उठे हैं.