शुभेन्दु के बैनर में दिलीप का नाम न रहने पर पार्टी का एक गुट नाराज

भाजपा नेताओं पर गृहमंत्री की फटकार का कोई असर नहीं

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कोलकाताः पश्चिम बंगाल में भाजपा नेताओं के बीच अंतर कलह चरम पर है। इस अंतर कलह को दूर करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने कोशिश भी की लेकिन इसका राज्य के भाजपा नेताओें पर कोई असर नहीं दिख रहा है। खासकर दिलीप घोष और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के बीच की दूरियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।

कांथी में होने वाली शुभेंदु की जनसभा के लिए जो पोस्टर बनवाया गया है, उसमें दिलीप घोष की तस्वीर नहीं होने के कारण पार्टी के एक गुट ने सवाल खड़ा कर दिया है।

हांलाकि दूसरे गुट की ओर से कहा गया है कि दिलीप घोष के पास प्रदेश का कोई जिम्मेवारी नहीं है, इसलिए उनकी तस्वीर नहीं लगाई गई है। इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर रैली का पोस्टर शेयर कर पार्टी कार्यकर्ता शुभेंदु पर हमलावर हैं।

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गौरतलब है कि शुभेंदु की रैली के लिये प्रकाशित पोस्टर और होर्डिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार की तस्वीरें हैं लेकिन दिलीप घोष की नहीं है।

नाराज गुट के लोगों का दावा है कि पिछले कुछ सालों के दौरान ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि राज्य में भाजपा का कोई बड़ा कार्यक्रम हो और उसमें प्रदेश नेताओं में दिलीप घोष की तस्वीर नहीं लगी हो।

यहां बता दें कि शुभेंदु और दिलीप घोष में समय-समय पर जुबानी जंग देखा गया है। शुभेंदु दिलीप घोष के मॉर्निंग वॉक पर कई तरह के कटाक्ष किए हैं।

वहीं, दिलीप घोष भी शुभेंदु पर हमला करने में पीछे नहीं रहे हैं। इन दोनों की गतिविधियों को देखते हुए बीते 17 दिसंबर को राज्य में गृहमंत्री अमित शाह सीएम ममता बनर्जी के साथ एक बैठक करने के लिए कोलकाता आए थे।

उस दिन उन्होंने भाजपा पार्टी कार्यालय में भाजपा नेताओं के साथ भी एक बैठक की थी। घंटों चली बैठक के बाद गृहमंत्री ने सभी को एक साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया। यही नहीं शुभेंदु और दिलीप को दिल्ली में भी पार्टी के शीर्ष नेताओं ने भी क्लास ली थी।