बालू के सहयोग से शाहजहां ने संदेशखाली में बढ़ाया था अपना वर्चस्व

तृणमूल के स्थानीय सदस्यों ने विधानसभा में निर्मल घोष से की थी शिकायत

70

कोलकाता, सूत्रकार : संदेशखाली 50 दिनों से अधिक समय से अशांत है। इस घटना को लेकर सियासी घमासान जारी है। सभी राजनीति पार्टियों की ओर से लगातार ड्रामा किया जा रहा है। इसके साथ ही सत्ताधारी दल यानी तृणमूल सरकार के नेता लगातार वहां जा रहे हैं और लोगों से उनकी शिकायतों को सुन रहे हैं। वहीं, आम लोगों का गुस्सा मीडिया में जाहिर हो रहा है।

हालांकि, स्थानीय तृणमूल नेतृत्व का एक वर्ग पूरी स्थिति के लिए जेल में बंद तृणमूल नेता और राज्य के पूर्व मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक उर्फ ​​बालू को जिम्मेदार ठहरा रहा है। उनका आरोप है कि शाहजहां शेख जैसे दबंग नेता ने बालू की सहयोग से ही इलाके में अपना वर्चस्व बढ़ाया था।

हालांकि, पार्टी के दूसरे धड़े का कहना है कि जेल में रहने के कारण सभी दोष बालू के मथे मढ़ा जा रहा है। यह पूरी तरह से सच नहीं है। सारा दोष बालू पर मढ़ना गलत होगा क्योंकि वह संगठन का प्रभारी थे।

हालांकि भले ज्योतिप्रिय का जन्म बर्दवान जिले के मोंटेश्वर में हुआ था, लेकिन उनका कार्य क्षेत्र कोलकाता से लेकर उत्तर 24 परगना था। बालू युवा कांग्रेस के समय से ही प्रदेश की सीएम ममता बनर्जी के करीबी माने जाते हैं।

एक समय ममता भी कांग्रेस में ही थीं। ममता ने जब टीएमसी का गठन किया तो बालू को उत्तर 24 परगना जिले की राजनीति में सक्रिय रहने का निर्देश दिया। एक समय उत्तर 24 परगना जिले की राजनीति में बालू ही सब कुछ थे।

हालांकि 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद उनका संगठनात्मक प्रभाव कम हो गया, लेकिन जिले में उनका धाक बरकार रहा। 10 साल तक गायघाटा और फिर हाबरा से तीन बार विधायक रहने के बाद, वह उत्तर 24 परगना जिले की मिट्टी को अपने हाथ की हथेली की तरह जानते थे। कभी वे जिला संगठन के पर्यवेक्षक रहे तो कभी जिला अध्यक्ष रहे।

2011 में वाममोर्चा को गद्दी से उतारकर तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई। उसके बाद ज्योतिप्रिय को राज्य के खाद्य मंत्री का भार दिया गया। बनगांव-बशीरहाट जैसे सीमावर्ती इलाकों में उन्होंने सीपीएम के कब्जे वाली ‘हर्मद वाहिनी’ (बदलाव से पहले सीपीएम के सशस्त्र चुनाव प्रबंधक इसी नाम को बुलाया करते थे) के सदस्यों को एक-एक करके पार्टी में शामिल कराया।

उस वक्त शाहजहां की तरह ‘बाहुबली’ बाबू मास्टर भी 2013 में सीपीएम छोड़कर तृणमूल में शामिल हो गए थे। उसके बाद वह और बालू ने हाथ में हाथ थाम कर एकर साथ काम किया।

हालांकि तृणमूल के कई मूल नेता इन नेताओं के पार्टी में शामिल होने के विरोध में थे, लेकिन ज्योतिप्रिय ने इस पर ध्यान नहीं दिया। बशीरहाट इलाके के एक वरिष्ठ तृणमूल नेता का कहना है कि जिले में ऐसे सभी ‘कुख्यात’ नेताओं का बालू के नेतृत्व में शामिल होना एक परंपरा बन गई थी।

रातों-रात शाहजहां ने बालू के सहयोग से संदेशखाली की जमीन पर अपना ‘ताजमहल’ बनवाया था। उसके बाद वह धीरे-धीरे सैकड़ों करोड़ रुपए का मालिक बन गया। संदेशखाली के निवासियों के पास किसी जादू की छड़ी में उनकी प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिह्न लगाने की शक्ति नहीं थी। सभी जानते थे कि शाहजहां ही न्याय दे सकता है। उसके सामने प्रशासन की दाल नहीं गलेगी। उन्होंने कहा कि संदेशखाली के लोगों के लिए वह ‘भगवान’ बन गया था।

हाल ही में समाप्त हुए बजट सत्र के दौरान संदेशखाली क्षेत्र के एक पंचायत सदस्य और बशीरहाट के मूल नेता जिले के वरिष्ठ नेताओं से मिलने विधानसभा आए थे। वहीं, पंचायत सदस्य ने संदेशखाली घटना के लिए सीधे तौर पर ज्योतिप्रिय को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने विधानसभा में तृणमूल महासचिव निर्मल घोष से शिकायती लहजे में कहा कि 2011 से पहले आप और बालू एक बार संदेशखाली गये थे।

उस समय शाहजहा और उसकी सेना ने बमबारी करके आपको इलाके छोड़ने पर मजबूर कर दिया। उसके दामाद को पार्टी में लाया गया और सत्ता दी गयी। हमारी बात नहीं सुनी गई, अब जो हो रहा है वह उसी कार्रवाई का नतीजा है।  राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री भी इस बात से सहमत थे कि शाहजहां जैसे ‘असामाजिक’ नेता का तृणमूल में शामिल होना बालू की गलती थी।