रांची : कांके विधायक समरीलाल द्वारा वर्ष 2019 झारखंड विधानसभा चुनाव में दिए गए जाति प्रमाण पत्र गलत बताते हुए कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश बैठा की चुनाव याचिका में झारखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति गौतम कुमार चौधरी कोर्ट द्वारा गवाहों की संख्या 15 निर्धारित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने समरीलाल की याचिका को खारिज कर दी। उक्त चुनाव याचिका में प्रतिवादी समरीलाल की ओर से 35 प्राइवेट गवाहों की सूची हाई कोर्ट को सौंपी गई थी, लेकिन कोर्ट ने 24 नवंबर 2022 को 15 गवाह लाने की अनुमति दी थी। विधायक समरीलाल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
बता दें कि समरीलाल की ओर से कुल 18 गवाही हुई है। 15 प्राइवेट गवाह और 3 ऑफिशियल गवाह की गवाही हुई है। 5 जनवरी को समरी लाल की ओर से गवाही बंद कर दी गई है,
लेकिन उनकी ओर से कहा गया है की वे और गवाह लाना चाहते हैं, लेकिन कोर्ट ने उन्हें और गवाह लाने से मना कर दिया। इस पर हाईकोर्ट के आदेश को उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
समरी लाल की ओर से लगभग सभी गवाहों ने झारखंड हाईकोर्ट में बताया है कि समरी लाल का परिवार आजादी के पहले से रांची में रह रहा है, लेकिन इससे संबंधित कोई दस्तावेज उसके पास उपलब्ध नहीं है।
हाईकोर्ट में प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विभाष सिन्हा और अखौरी अविनाश ने पैरवी की थी. वहीं प्रतिवादी की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने पैरवी की थी. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में कांके से भाजपा के टिकट पर समरी लाल जीते थे. सुरेश बैठाने उनके जाति प्रमाण पत्र को गलत बताते हुए उनके निर्वाचन को रद्द करने का आग्रह कोर्ट से किया है।
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