कोलकाता: बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने गुरुवार को पंचायत चुनाव के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ के पहले के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली के लिए चुनाव कराने के लिए पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया था।
28 मार्च को कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने विपक्ष के नेता द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि चुनाव आयोग चुनाव से संबंधित सभी निर्णय लेगा और मामले में अदालत हस्तक्षेप नहीं करेगी।
उल्लेखनीय है कि अधिकारी ने दो आधारों पर जनहित याचिका दायर की। पहला आधार यह था कि राज्य में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की वर्तमान जनसंख्या का आंकड़ा घरेलू सर्वेक्षण के आधार पर निकाला जाना चाहिए, जैसा कि अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के मामले में किया गया था।
जनहित याचिका में उन्होंने तर्क दिया कि दो अलग-अलग मानदंड नहीं हो सकते, एक एससी/एसटी के मामले में और दूसरा ओबीसी के मामले में। याचिका में उजागर किया गया दूसरा आधार ग्रामीण नागरिक निकाय के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती से संबंधित है।
हालांकि न्यायमूर्ति श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति भारद्वाज की खंडपीठ ने 28 मार्च को जनहित याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन विपक्ष के नेता को केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती की बिंदु पर एक अलग याचिका दायर करने की अनुमति दे दी।