विपक्षी पार्टियों की बैठक पर कांग्रेस-लेफ्ट ने उठाये सवाल

12 जून को पटना में होगी विपक्षी पार्टियों की बैठक

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कोलकाता : 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियों ने एकजुट होने का ऐलान कर दिया है। इस क्रम में अगले 12 जून को प्रमुख विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने 12 जून को पटना बैठक बुलाई है। यह बैठक बिहार के सीएम नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गयी है लेकिन बंगाल में कांग्रेस और लेफ्ट फ्रांट ने उस बैठक और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को आमंत्रित सवाल उठाया है।

प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने दावा किया कि 12 जून की बैठक का जो भी परिणाम हो लेकिन बंगाल में टीएमसी के खिलाफ कांग्रेस का आंदोलन जारी रहेगा। टीएमसी की तरह बीजेपी के खिलाफ भी कांग्रेस की लड़ाई भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि टीएमसी वास्तव में विपक्षी गठबंधन में दरार पैदा करने के लिए बीजेपी का मोहरा है।

सीपीएम नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि हालांकि बीजेपी के खिलाफ सभी विपक्षी ताकतों को एकजुट करने की यह एक अच्छी पहल है, लेकिन सवाल यह है कि क्या टीएमसी पर विश्वास किया जा सकता है।

उन्होंने कहा टीएमसी ने अप्रत्यक्ष रूप से भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों में बीजेपी की मदद की। संकट के समय में टीएमसी ने हमेशा पीएम मोदी को गुप्त रूप से समर्थन दिया है।
माकपा के राज्यसभा सदस्य विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि एक महागठबंधन की जरूरत है और केवल उन राजनीतिक ताकतों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए जो बीजेपी का विरोध करे।

उन्होंने कहा कि बीजेपी हमेशा विपक्षी मोर्चे को भीतर से खत्म करने की कोशिश करेगी। ऐसे में टीएमसी कांग्रेस को शामिल करना एक अच्छा कदम नहीं होगा। बल्कि, बंगाल में वाम मोर्चा और कांग्रेस के बीच आपसी समझ के मॉडल का राष्ट्रीय स्तर पर पालन किया जाना चाहिए।

टीएमसी के राज्यसभा सदस्य डॉ शांतनु सेन जैसे नेताओं का मानना है कि बंगाल में सीपीएम और कांग्रेस के तर्क का कोई मतलब नहीं है क्योंकि उनकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि जब पूरा देश टीएमसी सुप्रीमो और सीएम ममता बनर्जी को विपक्ष के नेता के रूप में मानता है, तो बंगाल में सीपीएम और कांग्रेस के नेता क्या कहते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल में कांग्रेस का टीएमसी का विरोध महज छलावा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ अधीर रंजन चौधरी राज्य में टीएमसी का विरोध करने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट में टीएमसी और ममता सरकार के मुख्य वकील हैं।