कहीं आतिशबाजी, तो कहीं गुब्बारे उड़ाकर नए साल का किया गया स्वागत

नए साल के जश्न के बाद सुबह ईश्वर की शरण में पहुंचे लोग

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कोलकाताः पुराना साल जा चुका है… नए साल का आगमन हो गया है। लोगों में नए साल को लेकर काफी उत्साह नजर आया। कहीं संगीत की धुन पर, तो कहीं गुब्बारे उड़ाकर नए साल का जश्न मनाया गया।

बड़ी संख्या में पहुंचे लोग आतिशबाजी को अपने मोबाइल में कैद करते नजर आए। इस दौरान उनमें काफी उत्साह नजर आया। शनिवार को जैसे ही 12 बजे वैसे ही लोगों ने आतिशबाजी शुरु कर दी। नव वर्ष 2023 के जश्न में कालीपूजा से ज्यादा पटाखे जलाए गए। पाटुली, कस्बा, बिराटी इलाकों में शोर की तीव्रता सबसे ज्यादा रही।

वहीं, कोलकाता के पार्क स्ट्रीट, शेक्सपियर सरणी, कैमक स्ट्रीट, एस्प्लेनेड के न्यू मार्केट, विक्टोरिया सहित कई जगहों पर लोगों की काफी भीड़ देखी गयी। इस दौरान किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना न घटे, इसे देखते हुए पुलिस की ओर से चुस्त व्यवस्था की गयी थी। पुलिस ने भीड़ पर ड्रोन से भी निगरानी की।

नए साल के जश्न के बाद सुबह ईश्वर की शरण में पहुंचे लोग

नए साल का आगाज हो चुका है। जहां एक तरफ पर्यटन स्थलों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है वहीं, रविवार की सुबह में कोलकाता के कई मंदिरों में भक्तों की लंबी-लंबी कतारें देखी गयीं।

कोलकाता के कालीघाट, दक्षिणेश्वर, बाबा भूतनाथ, ठनठनियां काली मंदिर, तारकेश्वर, तारापीठ सहित कई मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा। कई भक्त तो कतार में भजन करते हुए खड़े दिखें।

कई मंदिरों में तो देखा गया कि भक्त जश्न मनाने के बाद देर रात को ही मंदिर के बाहर कतार में खड़े हो गए ताकि सुबह जब मंदिर खुले तो लोग जल्दी ही भगवान के दर्शन करके अपने घर को लौट जाए। मंदिर के बाहर प्रसाद बिक्री करने वाले दुकानदारों से बात की गयी तो, उन लोगों ने बताया कि इस वर्ष उनकी दुकानें अच्छी चली हैं।

कल्पतरू उत्सव पर उमड़ा भक्तों का सैलाब

वहीं, रविवार को कोलकाता सहित आस-पास के इलाकों में साल के पहले दिन कल्पतरू उत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर दक्षिणेश्वर और उत्तर कोलकाता के काशीपुर उद्यान बाटी और बेलूड़ मठ में भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा।

भला ऐसा भी क्यों न हो। यह मौका फिर एक साल के बाद आएगा। कोरोना के कारण गत दो साल से इस उत्सव को बड़े पैमाने पर नहीं मनाया गया था। इस उत्सव को मनाने के लिए सुबह से ही भक्त नये-नये कपड़े पहनकर कतार में खड़े हो गए थे। इन दोनो जगहों पर देर शाम तक भक्तों की काफी भीड़ देखी गयी थी।

कोई अप्रिय घटना न घटे, इसको द्खते हुए पुलिस की ओर से काफी चुस्त व्यवस्था रखी गयी थी। ऐसी मान्यता है कि, उद्यान बाटी में वर्ष 1886 में एक जनवरी को माँ काली के परम भक्त स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने भक्तों की मनोकामना पूरी करने के लिए कल्पतरू का रूप धारण किया था।

हालांकि दक्षिणेश्वर स्वामी रामकृष्ण परमहंस की लीला स्थली है, इसलिए दक्षिणेश्वर मंदिर में लोग माँ भवतारिणी का दर्शन करते हैं और स्वामी जी को भी याद करते हैं। गौरतलब है कि हर साल दक्षिणेश्वर में लाखों भक्तों की भीड़ होती है। दक्षिणेश्वर के पास आद्यापीठ में कल्पतरू उत्सव और नए साल पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ी थी।

पर्यटनस्थल पर भी हुई लोगों की भीड़

दुनिया भर के लोगों ने 2022 को अलविदा कर 2023 का बड़े ही धूमधाम से स्वागत किया जिसके लिए दुनिया भर में इसकी तैयारियां पहले से ही शुरु हो चुकीं थीं।

बंगाल के पर्यटन केंद्रों में चिड़ियाघर, ईको पार्क, निक्को पार्क, साइंस सिटी, जादूघर, एक्वाटिका सहित अन्य पर्यटनस्थलों पर लोग काफी आनंदित दिखें।

क्या कहा हिडको के चेयरमैन ने

हिडको के चेयरमैन देवाशीष सेन ने बताया कि नये वर्ष के दिन शाम 3 बजे तक 80 हजार लोग पहुंच चुके थे। उन्होंने बताया कि एक तो रविवार का दिन छुट्टी का होता है, उसके बाद नये साल का पहला दिन था, इसलिए लोगों की काफी भीड़ देखी गयी।

इसी तरह जिलों के भी पर्यटनस्थलों पर भीड़ लगी रही। कोरोना वायरस के चलते पिछले दो साल से दीघा घूमने आने वाले लोग नए साल का आनंद नहीं उठा पा रहे थे, लेकिन इस बार दीघा के होटलों से लेकर रास्तों को रोशनी से सजाया गया है, जिसके कारण पर्यटक काफी खुश हैं और होटलों में भी नये वर्ष के मौके पर अपने अपने ग्राहकों के लिए खास पेशकश की गयी है उनके लिए विशेष सेवाओं की व्यवस्था की गई है।

होटलों में 1800 से लेकर 6000 तक के कमरे थे। दीघा शंकरपुर विकास मंडल के पदाधिकारियों ने बताया कि जिले के लोक कलाकार नृत्य, गीत और कठपुतली नृत्य की प्रस्तुति दिए।