पंचायत चुनाव को लेकर टीएमसी की खास तैयारी
मंत्री और नगरपालिकायों के प्रमुख गांव में जाकर करेंगे प्रचार
कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने कुछ दिन पहले आदेश सुनाते हुए कहा था कि राज्य चुनाव आयोग 9 जनवरी तक पंचायत चुनाव को लेकर कोई अधिसूचना जारी नहीं कर पायेगा लेकिन पंचायत चुनाव को लेकर सभी दलों ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां करना शुरू कर दिया है। टीएमसी इसमें सबसे आगे नजर आ रही है। खुद तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी इसमें सबसे आगे नजर आ रहे हैं। वो लगातार जिले स्तर पर जाकर जनसभाएं और प्रचार अभियान चला रहे हैं। इस बार टीएमसी जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं पर पूरा ध्यान लगा रही है।
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टीएमसी की खास तैयारी
अगले साल पंचायत चुनाव के अलावा कोई चुनाव नहीं है खासकर नगरपालिका के। इसलिए नगरपालिका के पदाधिकारियों को पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटने का निर्देश दिया गया है। नगरपालिका के महापौर, नगरपालिका अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पार्षद, प्रखंड अध्यक्ष सहित जिम्मेदार पदों पर बैठे तृणमूल नेताओं को अब से पंचायत चुनाव की तैयारी में भाग लेने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा। वे वहां पर जाकर लोगों से बात करेंगे और पार्टी की स्थिति का जायजा लेंगे और उस कमी को दूर करने के लिए रणनीति बनाएंगे।
सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार 2021 विधानसभा के बाद से बहुत से नगरपालिकाओं के चुनाव हो चुके हैं। इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उन इलाकों में अब कोई चुनाव नहीं होने वाले हैं। इसलिए तृणमूल के शीर्ष नेतृत्व ने इस बार पंचायत चुनाव में अपनी नगरपालिका की जनशक्ति का उपयोग करने का फैसला किया है।
फिरहाद हकीम शुरू कर चुके हैं दौरा
शीर्ष नेतृत्व के आदेश के बाद से ही कई जिलों के नेता अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए ग्रामीण इलाके में जाना शुरू भी कर चुके हैं। इनमें सबसे आगे खुद कोलकाता नगर निगम के मेयर बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री फिरहाद हकीम नजर आ रहे हैं। वो सप्ताह में पांच दिन कोलकाता में ड्यूटी कर रहे हैं तो दो दिन ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। ऐसे में विभिन्न नगरपालिका क्षेत्रों के नेताओं को पंचायत चुनाव के कार्य में शामिल होने के लिए कहा गया है।
जिले स्तर के कार्यकर्ताओं को मिलेगी प्रेरणा
राज्य और शहर के बड़े नेता जिला स्तर पर काम करने जायेंगे तो शहर के ब्लॉक स्तर के नेताओं को भी उनसे प्रेरणा लेकर काम करने की ऊर्जा प्राप्त होगी। ऐसे में तृणमूल नेतृत्व का मानना है कि पार्टी के सांगठनिक तरीके से सक्रिय रहने से पंचायत चुनाव में जनशक्ति की समस्या का समाधान हो सकता है क्योंकि, पंचायत चुनाव एक लंबी प्रक्रिया है। उस प्रक्रिया के लिए कुशल मतदान कर्मियों की आवश्यकता होती है। इसलिए, उन्हें तृणमूल द्वारा नगरपालिका क्षेत्रों से त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भाग लेने का निर्देश दिया गया है।