राज्य सरकार ने झारखंड हाई कोर्ट की खंडपीठ में अपील दायर कर एकल पीठ के आदेश को दी चुनौती

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रांची : राज्य सरकार ने झारखंड हाई कोर्ट की खंडपीठ में अपील (एलपीए) दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी है। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने चार जनवरी को तीन सप्ताह में झारखंड में निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने के आदेश दिए थे। अपील में राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि पिछड़ा आयोग को ही डेडिकेटेड कमीशन के रूप में नियुक्त कर दिया गया है। यह राज्य के जिलों में ओबीसी की आबादी का आकलन करेगी और इस संबंध में डाटा राज्य सरकार को उपलब्ध कराएगी। इसके आधार पर निकाय चुनाव में वार्डों में ओबीसी के लिए आरक्षण दिया जायेगा। इसलिए निकाय चुनाव पूरा करने के लिए समय दिया जाए।

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राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने एवं एकल पीठ के आदेश को रद्द करने का आग्रह हाई कोर्ट से किया है। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही ठहराया है। आजसू विधायक लंबोदर महतो ने साफ कहा था कि आजसू पार्टी पिछड़ों के हक और अधिकार के लिए लड़ाई लड़ेगी। ओबीसी आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें झारखंड सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर यह बताया गया था कि राज्य सरकार की ओर से ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट राज्य पिछड़ा आयोग की ओर से कराया जायेगा जबकि राज्य राज्य पिछड़ा आयोग कई वर्षों से नहीं है।ऐसे में ट्रिपल टेस्ट नहीं हुआ और एक तरह से राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने का काम किया।हमारी पार्टी फिर से कोर्ट का रुख करेगी। राज्य में नगर निकायों का चुनाव जल्द कराने को लेकर पूर्व पार्षद रोशनी खलखो सहित अन्य की याचिका को हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि तीन सप्ताह में झारखंड में निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करें। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि निकाय चुनाव नहीं करना संवैधानिक तंत्र की विफलता है।