शाहजहां को बचाने पर राज्य सरकार को फटकार

हाईकोर्ट ने फरार चल रहे शाहजहां को आत्मसमर्पण करने को कहा

48

कोलकाता, सूत्रकार : संदेशखाली घटना पर पर्दा डालने और मुख्य आरोपी शाहजहां शेख का पक्ष लेने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार को कलकत्ता हाईकोर्ट से कड़ी फटकार खानी पड़ी है। हाईकोर्ट ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया कि संदेशखाली का मुख्य आरोपी का सरकार बचाव नहीं सकती है।

मंगलवार को हाईकोर्ट संदेशखाली अशांति मामले पर पश्चिम बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य को फरार तृणमूल कांग्रेस नेता शाहजहां शेख का समर्थन नहीं करना चाहिए, जिन पर कई महिलाओं ने यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने का आरोप लगाया है।

अदालत ने नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के संदेशखाली जाने की अनुमति के अनुरोध पर सुनवाई करते हुए यह भी कहा कि वह शाहजहां शेख को आत्मसमर्पण करने के लिए कहेगी। अदालत ने कहा कि हम उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहेंगे, देखते हैं वह क्या करता है। उन्होंने कहा कि अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस व्यक्ति ने पूरे मामले की साजिश रची वह अभी भी फरार है।

मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार की अपील को खारिज करते हुए अधिकारी को संदेशखाली जाने की अनुमति दी। अदालत की एकल पीठ ने नेता प्रतिपक्ष को सोमवार को क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति दी। इसके बाद बंगाल सरकार ने आदेश को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी। अदालत ने शाहजहां शेख को लेकर कहा कि हम उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहेंगे, देखते हैं वह क्या करता है। अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस व्यक्ति ने पूरे मामले की साजिश रची वह अभी भी फरार है।

अदालत ने कहा कि उसे राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता। प्रथम दृष्टया यह दिखाने के लिए सामग्री है कि उसने नुकसान पहुंचाया है। अगर एक व्यक्ति पूरी आबादी को फिरौती के लिए बंधक बना सकता है, तो सत्तारूढ़ सरकार को उसका समर्थन नहीं करना चाहिए। संदेशखाली में कई महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर जबरदस्ती जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था।

गौरतलब है कि मंगलवार को ही राज्य के कार्यकारी डीजीपी राजीव कुमार ने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष से कहा कि हमें शाहजहां शेख के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। इसलिए उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विधानसभा में शाहजहां के पक्ष लेती हुई दिखाई दीं और कहा कि संदेशखाली में जो हो रहा है, वह आरएसएस और बीजेपी की साजिश है।

शाहजहां की फांसी चाहते हैं लोगः शुभेंदु

कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा संकटग्रस्त क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति दिए जाने के बाद पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी मंगलवार को राज्य के उत्तर 24 परगना जिले के हिंसा ग्रस्त संदेशखाली पहुंचे। यहां उनके साथ भाजपा विधायक शंकर घोष भी थे और पुलिस के एक दल के साथ उन्होंने इलाके में घूम-घूम कर महिलाओं से शिकायतें सुनी।

उनका एक वीडियो सामने आया है जिसमें देखा जा सकता है कि वह जमीन पर बैठकर महिलाओं से बात कर रहे हैं और बड़ी संख्या में स्थानीय महिलाएं उनसे अपनी शिकायतें कर रही हैं। तृणमूल नेता शेख शाहजहां, उत्तम सरदार और शिबू हाजरा समेत पार्टी के अन्य नेताओं के खिलाफ सैकड़ों शिकायतें महिलाओं ने की हैं।

शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि यहां के लोग शाहजहां की फांसी चाहते हैं। वह बच नहीं सकता। अधिकारी ने कहा कि पुलिस यहां तृणमूल के अपराधियों के साथ मिलकर हर तरह के अपराध का संरक्षक बनी रही है। ममता बनर्जी एक गृह मंत्री के तौर पर पूरी तरह से फेल हैं, क्योंकि महिलाएं सालों से यहां प्रताड़ित होती रही हैं और उन्हीं के लोगों के हाथों।

पुलिस ने इससे पहले दिन में राज्य की विधानसभा में विपक्षी नेता अधिकारी को संकटग्रस्त क्षेत्र में जाने से रोक दिया था जहां निषेधाज्ञा लागू की गई है। पुलिस ने कहा कि सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए एक खंडपीठ में अपील की है। उच्च न्यायालय ने ही सोमवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता को क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति दी थी।

अधिकारी ने कहा कि उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के आदेश का पालन करते हुए पुलिस ने अब मुझे और मेरे साथी भाजपा विधायक शंकर घोष को संदेशखाली जाने की अनुमति दे दी है। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा उन्हें धमाखाली नौका घाट तक ले जाया गया जहां से उन्होंने संदेशखाली पहुंचने के लिए नाव से कालिंदी नदी को पार किया। संदेशखाली में महिलाओं सहित स्थानीय लोगों ने उनका स्वागत किया।

कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने मंगलवार सुबह अधिकारी को संदेशखाली जाने की अनुमति दी। मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मंगलवार को एकल पीठ के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जिसने अधिकारी और भाजपा के एक अन्य विधायक शंकर घोष को संदेशखाली जाने की अनुमति दी गई थी।

पश्चिम बंगाल सरकार ने न्यायमूर्ति कौशिक चंदा के सोमवार को दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ के समक्ष एक अपील दायर की थी जिन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत प्रशासन द्वारा संदेशखाली में लगाए गए पांच या अधिक व्यक्तियों के जमावड़े पर निषेधाज्ञा पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी।

खंडपीठ में न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य भी शामिल थे जिसने भाजपा नेता को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उनके लिए तैनात किए गए सुरक्षाकर्मियों को छोड़कर कोई भी समर्थक या पार्टी से जुड़ा व्यक्ति उनके साथ न जाए। खंडपीठ ने बशीरहाट के पुलिस अधीक्षक और पश्चिम बंगाल सरकार को एकल पीठ द्वारा जारी आदेशों का पालन करने का निर्देश दिया।