एगरा विस्फोट कांड के बाद जगी राज्य सरकार

सरकारी अस्पतालों में खुलेंगे क्रिटिकल केयर यूनिट

97

कोलकाता : एगरा में अवैध पटाखे की फैक्ट्री में विस्फोट के बाद अब राज्य सरकार जले हुए मरीजों के लिए एक खास व्यवस्था करने जा रही है। इन मरीजों को सस्ता इलाज मिल सके इसलिए राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक सरकारी अस्पतालों में अलग से क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) बनायी जाएगी।

मरीज के परिजनों का कहना है कि निजी अस्पताल में सीसीयू में मरीज के इलाज करवाने में काफी खर्च आता है। लोगों पर दबाव न पड़े इसलिए अब सरकारी अस्पताल में झुलसे मरीजों के लिए सीसीयू सेवा की व्यवस्था की जा रही है। टॉलीगंज के एमआर बांगड़ अस्पताल ने इस संबंध में राह दिखाई है। इस अस्पताल में जले हुए मरीजों के लिए दो अत्याधुनिक बर्न यूनिट हैं।

एक में 36 बेड हैं, दूसरे में 34 बेड हैं। यहां कुल 70 बेड हैं। 6-7 डॉरमेट्री बेड के अलावा बाकी केबिन हैं। इस अस्पताल में जले मरीजों के लिए अलग से सीसीयू शुरू किया है। यह क्रिटिकल केयर यूनिट दूसरी मंजिल पर मुख्य सीसीयू के सामने खोली गई है।

अस्पताल अधीक्षक डॉ. शिशिर नस्कर ने कहा कि ‘क्रॉस इंफेक्शन’ के डर से जले हुए मरीजों को दूसरे मरीजों के साथ नहीं रखा जा सकता है। नतीजा यह हुआ कि झुलसे मरीजों की स्थिति गंभीर होने पर दिक्कतें पेश आने लगीं। इस बार उन्हें सीसीयू में रखकर इलाज की व्यवस्था की गई।

डॉक्टरों की संख्या कम है। इस मामले को लेकर अस्पताल रोगी कल्याण संघ के अध्यक्ष और राज्य मंत्री अरूप विश्वास को जानकारी दी गयी। इसके बाद उन्होंने अलग से सीसीयू बनाने की पहल करने को कहा है। वास्तव में, 70 बिस्तरों वाले बर्न वार्ड में रोगियों के एक बड़े हिस्से को गंभीर देखभाल की आवश्यकता होती है। लेकिन इसके अभाव में मरीजों की हालत गंभीर होने पर ही उन्हें कहीं और ‘रेफर’ करना पड़ता था। इस बार यहां अलग से सीसीयू बनाया जाएगा।

मालूम हो कि सीसीयू विशेषज्ञ डॉ. सुरंजन सान्याल नई इकाई के प्रभारी होंगे। उन्होंने कहा कि जले हुए मरीजों का इलाज लंबे समय तक चलता है। नतीजतन, संक्रमण की संभावना अधिक रहती है। सीसीयू में दूसरे मरीजों से कीटाणु फैल सकते हैं।

ऐसे में उनका जीवन संदेह के घेरे में आ जाता है। इस ‘क्रॉस इंफेक्शन’ के डर से जले हुए मरीजों को सरकारी अस्पतालों के सीसीयू में नहीं रखा जाता है, इसलिए अलग क्रिटिकल केयर यूनिट की सिफारिश की गयी है।