30 अप्रैल को आजसू पार्टी का राज्यस्तरीय सामाजिक न्याय मार्च

सात सूत्री मांगों को लेकर हजारों कार्यकर्ता मोरहाबादी से हरमू मैदान तक करेंगे पैदल मार्च

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रांची:  सरकार निर्वाचित प्रतिनिधियों का अधिकार छीन कर अफसर राज स्थापित करने में जुटी हुई है। दरअसल अबुआ राज की बात करने वाली सरकार की असल मंशा राज्य में बबुआ राज स्थापित करने की है। पंचायत प्रतिनिधियों को लेकर भी इन्होंने यही किया और अब निकाय परिषद के निर्वाचित प्रतिनिधियों को लेकर भी यही हुआ। पार्टी के केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत ने पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में 30 अप्रैल को होने वाले कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि सामाजिक न्याय मार्च में राज्य के कोने-कोने से हजारों कार्यकर्ता रांची कूच करेंगे तथा बापू वाटिका, मोरहाबादी से हरमू मैदान तक पैदल मार्च करेंगे। ज्ञात हो कि आजसू पार्टी अप्रैल को सामाजिक न्याय महीना के रुप में मना रही है। इस दौरान पूरे महीने कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया तथा 30 अप्रैल को सुबह 10 बजे से सामाजिक न्याय मार्च का भी आयोजन किया जाएगा।

 

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सात सूत्री मांगों को लेकर आजसू पार्टी लगातार संघर्षरत रही है

डॉ. भगत ने कहा कि झारखंडी जनभावनाओं से जुड़े विषयों तथा सात सूत्री मांगों को लेकर आजसू पार्टी लगातार संघर्षरत रही है। कहा कि हमारे सात सूत्री मांगों में खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति, जातीय जनगणना एवं पिछड़ों को आबादी अनुसार आरक्षण, पूर्व में जो जातियां अनुसूचित जनजाति की सूची में थे, उन्हें पुनः अनुसूचित जनजाति में शामिल करना, सरना धर्म कोड, बेरोजगारों को रोज़गार, झारखण्ड के संसाधनों की लूट बंद करना तथा झारखण्ड आंदोलनकारियों को सम्मान देना मुख्य रूप से शामिल है। राज्य के 34 निकाय परिषद के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त कर दिया गया तथा सभी शक्तियां व कार्य अब प्रशासक संभालेंगे। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि प्रथम कैबिनेट में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ों को आरक्षण सुनिश्चित करने का दंभ भरने वाली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को भी दरकिनार कर दिया। आजसू पार्टी द्वारा दायर किए गए याचिका पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रुप से सरकार को यह आदेश दिया कि निकाय चुनाव से पहले राज्य में ट्रिपल टेस्ट सुनिश्चित हो। इसके बावजूद भी सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। यह समझ से परे है। दरअसल सरकार ने कभी भी इस विषय पर गंभीरता नहीं दिखाई, जिसका खामियाजा राज्य की बड़ी आबादी को भुगतना पड़ रहा है।