ब्रह्मांड का ऐसा स्थान जहां गंगा अवतरण के पहले से विराजमान हैं तारकेश्वर नाथ

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ब्यूरो रांची : भगवान शिव के प्रिय मास सावन में हर तरफ शिव मंदिरों में जल चढ़ाने के लिए भक्तों की लम्बी-लम्बी कतारें देखी जा रही हैं। हर मंदिर की अलग-अलग मान्यताएं भी हैं। उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है जिसका संबंध ताड़कासुर नामक असुर से है, इसलिए मंदिर को तारकेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है।

 

– भगवान शिव ने किया था ताड़कासुर का वध, इसलिए नाम पड़ा तारकेश्वर नाथ

– रामेश्वरम् शिवलिंग की स्थापना कर तारकेश्वर मंदिर दर्शन करने आए थे प्रभु श्रीराम

– विंध्य महात्म्य में मिलता है जिक्र, तारकेश्वर महादेव का पुराण में भी वर्णन

 

तारकेश्वर नाथ मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है। गंगा किनारे बना भगवान शिव का यह मंदिर शहर के मध्य रैदानी कालोनी के पास है। मौजूदा महादेव मंदिर के बारे में मान्यता है कि वास्तविक तारकेश्वर मंदिर के गंगा में विलीन होने के बाद यह उसी जगह पर स्थापित है। माना जाता है कि यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है।

मंदिर की स्थापना को लेकर कोई लिखित इतिहास नहीं है, लेकिन पुजारी शिवमंगल बताते हैं कि यहीं से मां विंध्यवासिनी का त्रिकोण शुरू होता है और यहीं आकर समाप्त होता है। उन्होंने बताया कि तारकेश्वर नाथ यहां गंगा अवतरण से पहले से विराजमान हैं। महादेव का यह स्थान विंध्य पर्वत के ईशान कोण में स्थित है। तारकेश्वर नाथ मंदिर का वर्णन विंध्य महात्म्य में भी किया गया है। कहा जाता है कि ताड़कासुर ने महादेव की तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप भगवान शिव ने उसे वरदान दिया था। वरदान पाकर ताड़कासुर अत्याचारी हो गया था। ऋषि, मुनियों के निवेदन पर ही ताड़कासुर का वध महादेव के कहने पर इनके पुत्र कार्तिकेय ने इसी स्थान पर किया था, इसलिए मंदिर का नाम तारकेश्वर नाथ पड़ा।

 

तारकेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास :

विंध्याचल के पूर्व में स्थित तारकेश्वर महादेव का वर्णन पुराण में भी किया गया है। मंदिर के समीप एक कुंड है। माना जाता है कि ताड़क नामक असुर ने मंदिर के समीप एक कुंड खोदा था। भगवान शिव ने ही ताड़क का वध किया था, इसलिए उन्हें तारकेश्वर महादेव कहा जाता है। कुंड के समीप काफी सारे शिवलिंग हैं। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने तारकेश्वर के पश्चिम दिशा की ओर एक कुंड खोदा था और भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया था। ऐसा भी कहा जाता है कि तारकेश्वर महादेव मंदिर देवी लक्ष्मी का निवास स्थल है। देवी लक्ष्मी यहां अन्य रूप में देवी सरस्वती के साथ वैष्णवी रूप में निवास करती हैं।

 

कुल 108 शिव मंदिर थे, अधिकतर गंगा की धारा में हो चुके हैं समाहित :

मीरजापुर नगर के मध्य गंगा तट पर तारकेश्वर नाथ का मंदिर है, जहां कुल 108 शिव मंदिर थे। इनमे से अनेक गंगा की धारा में समाहित हो चुके हैं। भगवान श्रीराम ने विंध्याचल के शिवपुर में रामेश्वरम् शिवलिंग की स्थापना करके यहां आकर दर्शन किया था। यहां भी शिवपुर मेले की तरह बडा मेला लगता है, जिसमें शिल्पकला की वस्तुएं मिट्टी के पात्र विशेष रूप से बिकने के लिए आते हैं।

 

चार पीढ़ियों से एक ही परिवार कर रहा है मंदिर का देखभाल :

तारकेश्वर महादेव मंदिर की देखरेख चार पीढ़ियों से एक गोसाई परिवार करता चला आ रहा है। मंदिर के पुजारी शिवमंगल गिरी ने बताया कि मंदिर में जो भी सच्चे मन से आता है उसकी मान्यता जरूर पूरी होती है। पुजारी ने बताया कि यहीं पर एक कुंड है, जिसकी खुदाई लक्ष्मीजी ने की थी।

 

 

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