सुप्रीम कोर्ट ने 32 हजार शिक्षकों के चयन आदेश को किया रद्द

शिक्षक भर्ती घोटाला : कलकत्ता हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश खारिज

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नयी दिल्ली/कोलकाता: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश रद्द कर दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड को अगस्त 2023 के अंत से पहले 32,000 शिक्षक पदों के लिए नए सिरे से चयन करने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट से स्कूल जॉब्स फॉर कैश घोटाले से संबंधित अपील पर जल्द से जल्द फैसला करने को भी कहा। कोर्ट ने कहा, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि यह बड़ी संख्या में सहायक शिक्षकों के चयन और नियुक्ति से संबंधित मामला है, हम आशा और विश्वास करते हैं कि इस तरह के विवाद का जल्द से जल्द निर्णय लिया जाना चाहिए। इसलिए हम हाईकोर्ट से रिट अपील में तेजी लाने का अनुरोध करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका कलकत्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश के खिलाफ दायर की गई, जिसने 32,000 शिक्षकों की बर्खास्तगी पर रोक लगा दी, लेकिन इस पद पर नए सिरे से चयन करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने पहले 32,000 शिक्षकों को बर्खास्त करने का निर्देश दिया और 3 महीने के भीतर नए सिरे से चयन करने का आदेश दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा यह आग्रह किया गया कि यद्यपि खंडपीठ ने समाप्ति पर रोक लगाकर अंतरिम राहत दी, क्योंकि प्रभावित व्यक्ति कार्यवाही में पक्षकार नहीं है, फिर भी नए सिरे से चयन करने का निर्देश उचित नहीं है। पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि 32,000 शिक्षकों के चयन के लिए कॉल करना और समय सीमा के भीतर उनका इंटरव्यू आयोजित करना संभव नहीं होगा और यह एक महंगी प्रक्रिया होगी। सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ताओं की इस दलील से सहमत थी कि एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश प्रतिनिधि क्षमता में भी याचिकाकर्ताओं को सुने बिना था।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि खंडपीठ ने इस विवाद में योग्यता पाई और शिक्षकों की बर्खास्तगी पर रोक लगा दी, इसलिए नए सिरे से चयन करने का निर्देश उचित नहीं है। मामले में सीनियर वकील मुकुल रोहतगी, श्याम दीवान, कल्याण बनर्जी, डॉ. एएम सिंघवी आदि पेश हुए।

हालांकि, न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को डिवीजन बेंच के समक्ष अपील में प्राकृतिक न्याय के आधार सहित सभी आगे की दलीलें उठाने का निर्देश दिया। कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 2016 में पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा भर्ती किए गए 32,000 “अप्रशिक्षित” प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी थी। जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड को केवल 2016 की भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने वाले उम्मीदवारों के लिए 3 महीने में नई भर्ती प्रक्रिया की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया था।

यह निर्देश दिया गया कि किसी भी नए या किसी अन्य उम्मीदवार को ऐसी भर्ती परीक्षा में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। जस्टिस सुब्रत तालुकदार और जस्टिस सुप्रतिम भट्टाचार्य की खंडपीठ ने इसके बाद पाया कि प्रभावित पक्षों को सुनवाई का अवसर दिए बिना नौकरियां समाप्त करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है, इसलिए बर्खास्तगी पर रोक लगा दी गई।

हालांकि, डिवीजन बेंच ने बोर्ड को अगस्त के अंत तक सिंगल बेंच के निर्देशानुसार नए सिरे से चयन करने का आदेश दिया। कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने बर्खास्तगी और नये चयन का आदेश पारित करते हुए इस प्रकार कहा था, “बोर्ड द्वारा आयोजित 2016 की भर्ती प्रक्रिया में चयन प्रक्रिया में घोर अवैधता से यह स्पष्ट है कि बोर्ड और उसके पूर्व अध्यक्ष (जो अब भारी धन के लेनदेन के लिए प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी के बाद हिरासत में हैं) सहित बोर्ड और उसके अधिकारियों ने भर्ती प्रक्रिया के पूरे मामले को स्थानीय क्लब के मामले की तरह संचालित किया और अब प्रवर्तन निदेशालय की जांच से यह धीरे-धीरे सामने आ रहा है कि प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की नौकरियां वास्तव में कुछ ऐसे उम्मीदवारों को बेची गईं, जिनके पास रोजगार खरीदने के लिए रुपये थे। पश्चिम बंगाल राज्य में इस परिमाण का भ्रष्टाचार पहले कभी नहीं देखा गया। पूर्व शिक्षा मंत्री, बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और कई बिचौलिये, जिनके माध्यम से नौकरियां वस्तु की तरह बेची गईं, अब सलाखों के पीछे हैं और सीबीआई और ईडी द्वारा जांच अब पूरी तरह से जारी है।