कलकत्ता हाईकोर्ट में जज बनाम जज के मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश

दोनों के फैसलों पर लगाई रोक, बंगाल सरकार को नोटिस

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कोलकाता, सूत्रकार : सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट में दो पीठों के समक्ष चल रही मेडिकल भर्ती मामले से संबंधित सुनवाई और उसके फैसले पर रोक लगा दी है। मेडिकल भर्ती मामले में एकल न्यायाधीश और खंडपीठ के बीच टकराव के बाद शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया।

अब शीर्ष अदालत ने मामले पर रोक लगाने के साथ ही पश्चिम बंगाल सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किया है। साथ ही याचिकाकर्ता से कहा कि वे चाहे तो इस सुनवाई में शामिल हो सकते हैं।

उच्चतम न्यायालय अब इस मामले की सुनवाई 29 जनवरी को करेगा। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कलकत्ता हाई कोर्ट में न्यायाधीशों के बीच टकराव को काफी गंभीरता से लेते हुए शनिवार को पांच सदस्यीय खंडपीठ का गठन किया और मामले की सुनवाई की।

मालूम हो कि इस सप्ताह की शुरुआत में कलकत्ता उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों के बीच मतभेद सार्वजनिक हुए थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले पर गौर किया और कहा कि हम आगे की कार्यवाहियों पर रोक लगाएंगे।

हम पश्चिम बंगाल राज्य और उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करने वाले मूल याचिकाकर्ता को नोटिस जारी कर रहे हैं। हम सोमवार को फिर से सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध करेंगे। हम रिट याचिका और ‘लेटर्सपेटेंट अपील’ और जांच को सीबीआई को सौंपने संबंधी एकल पीठ के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाएंगे।

शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय के आदेशों के खिलाफ अलग से एक विशेष अनुमति याचिका दायर करने की भी अनुमति दी है। उच्चतम न्यायालय में जिस मामले की सुनवाई जारी है वह कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश द्वारा खंडपीठ के फैसले की अवहेलना करने से जुड़ा है।

पश्चिम बंगाल सरकार की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्य भी सीबीआई जांच के एकल पीठ के शुरुआती आदेश के खिलाफ अपील दायर कर रहा है। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ का आदेश अधिकार क्षेत्र से परे लिया गया प्रतीत होता है। क्योंकि स्थगनादेश अपील ज्ञापन के बिना पारित किया गया था।

मेहता ने कहा कि मैं अपील ज्ञापन या किसी आदेश के खिलाफ याचिका दायर किए बिना आदेश पारित करने को लेकर अधिक चिंतित हूं। इस अदालत ने अनुच्छेद 141 के तहत इसे प्रतिबंधित कर दिया था। मैं यहां एकल न्यायाधीश या खंडपीठ के आदेश का बचाव नहीं कर रहा हूं।

उन्होंने इस संबंध में सीबीआई को एक नोट दाखिल करने की अनुमति देने का आग्रह किया। सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि हम इस पर सोमवार को सुनवाई करेंगे, अब यह मामला हमने अपने हाथ में ले लिया है।

गौरतलब है कि न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल न्यायाधीश वाली पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा था कि न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति उदय कुमार की खंडपीठ द्वारा पारित आदेश पूरी तरह से अवैध है और इसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने के एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी थी।