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संपादकीय

आधार भी निराधार

भारत सरकार ने जिस माध्यम को सबसे सहज समझकर देश के गरीब लोगों तक सरकारी सुविधाएं पहुंचाने का संकल्प लिया था, उस आधार कार्ड की क्षमता पर खुद कैग ने ही सवाल…

वोट के लिए नोट

फिर वही बात सामने आई है। लोकतंत्र की दुहाई देने वाले लोगों ने सार्वजनिक जीवन में शुचिता कायम रखने की शर्त पर देश को बहुत कुछ समझाया है लेकिन जब खुद के गिरेबान में…

हिन्दी की जंग

यह भी एक सुखद अचरज ही है कि जिस देश की आधी से ज्यादा आबादी हिन्दी भाषा जानती, बोलती, समझती है-उस देश में हिन्दी को अभी तक राष्ट्रभाषा बनने की जंग लड़नी पड़ रही है।…

अर्दोआन की चिंता

दुनिया में कुछ ऐसे भी मुल्क हैं जिन्हें दूसरे के सुख से पेट में मरोड़ की शिकायत होने लगती है। ऐसे ही कुछ चुनिंदा नेताओं में से एक हैं तुर्की या तुर्किए के राष्ट्रपति…

गंगा की रक्षा का सवाल

किसी भी सभ्यता के जीने की बुनियादी शर्तों में ऑक्सीजन के बाद पानी का ही स्थान आता है। दुनिया में ऐसे कई इलाके रहे हैं जहां कभी पानी का अकूत भंडार था लेकिन कालांतर…

नहले पर दहला

इसे कहते हैं जैसे को तैसा। भारत द्वारा बार-बार समझाने के बावजूद जब कूटनीति की भाषा कनाडा की सरकार नहीं समझ सकी तो मजबूरन भारत को भी अपनी ओर से कदम उठाना पड़ा है। जिस…

इमारत की इबारत

इंसान जैसे-जैसे सभ्य होता गया, उसे रोटी के अलावा कपड़ा और मकान की भी जरूरत महसूस होने लगी। इन्हीं जरूरतों को पूरा करने में आज भी इंसान किसी न किसी तरह से संलग्न है।…

सवाल बहिष्कार का

भारत में बहिष्कार कोई नया नहीं है। देश की आजादी के समय भी तरह-तरह से अंग्रेजी हुकूमत के कामकाज का बहिष्कार हुआ करता था। आजादी मिलने के बाद भी कई बार बहिष्कार शब्द…

ये भूख की तिजारत

चुनावी साल के आते ही भारत सरकार ने दुनिया में भूख बाँटने का फैसला कर लिया है। हो सकता है कि कुछ लोगों को यह बात नागवार लगे लेकिन है बिल्कुल सही। दरअसल चुनाव आने से…