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यूनेस्को

आत्म प्रशंसा की जल्दबाजी

संस्कृत भाषा से लोगों ने भले ही आज दूरी बना ली है लेकिन कुछ उक्तियां आज भी उतनी ही समसामयिक व प्रासंगिक हैं जितनी तब थीं, जब उन्हें लिखा या गढ़ा गया होगा। कहा गया…