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लोकतंत्र

वोट के लिए नोट

फिर वही बात सामने आई है। लोकतंत्र की दुहाई देने वाले लोगों ने सार्वजनिक जीवन में शुचिता कायम रखने की शर्त पर देश को बहुत कुछ समझाया है लेकिन जब खुद के गिरेबान में…

इमारत की इबारत

इंसान जैसे-जैसे सभ्य होता गया, उसे रोटी के अलावा कपड़ा और मकान की भी जरूरत महसूस होने लगी। इन्हीं जरूरतों को पूरा करने में आज भी इंसान किसी न किसी तरह से संलग्न है।…

राष्ट्र और सियासत

अपना लोकतंत्र लगता है कि अब सचमुच किशोरावस्था से वयस्क होकर तेजी से समझदार होने लगा है। यही वजह है कि इंसान अब राष्ट्र को भी सियासत समझने लगा है। इतनी समझदारी पैदा…

कुर्बानियों से मिली ये दौलत

आज भारत का स्वतंत्रता दिवस है, हमारा राष्ट्रीय पर्व। छिहत्तर साल गुजरे, अब सतहत्तरवें की बारी है। धीरे-धीरे लोकतंत्र मजबूत होता जा रहा है। आज भारत की सत्ता…

संविधान की जरूरत

दुनिया में जब से उपनिवेशवाद का सफाया हुआ है तब से इंसानी सोच में भी बदलाव आया है। बदलाव की हालत आज यह है कि तानाशाही या राजशाही का दौर भी समाप्त हो गया है और…

संसद मौन है

जिस वतन पर सबको नाज है, जिसकी लोग कसमें खाया करते हैं, जो इसी महीने की 15 तारीख को आजादी का जश्न मनाने की तैयारियों में जुटा है- वह कहीं न कहीं आज जख्मों से कराह रहा…

ताकते रह गए सभी

राजभवन, राज्य सरकार, कलकत्ता हाईकोर्ट, राज्य चुनाव आयोग और राज्य की पुलिस। सबने अपना-अपना रोल अदा किया। कहीं बूथों पर बैलेट बॉक्स की लूट हुई, कहीं किसी को गोली मार…

ख्वाब देखने की बीमारी

इंसान हर हाल में नए-नए ख्वाब देखने का आदी होता है। और वह भी अगर नेता हुआ तो फिर पूछना क्या है। हर नेता अपने दल की बड़ाई करता फिरता है और दुनिया की हर बुराई उसे दूसरे…

वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति

वैदिकी से लोकतंत्र का संबंध शायद लोगों को अटपटा लगे, मगर वैदिक सोच से ही लोक संस्कृति की उत्पत्ति होती है। वैदिक शब्द का अनर्थ न हो अथवा कोई दूसरा मतलब नहीं निकालना…