सोशल ही बने रहें तो बेहतर
सोशल मीडिया भी कमाल का है। खबर और सूचना के पार्थक्य की दीवार इतनी पतली कर दी गई है कि आम लोग यह समझ ही नहीं पा रहे कि किसे खबर कहें और किसे सूचना। कुछ ऐसे भी शरारती…
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