Browsing Tag

राष्ट्रीय कवि संगम

तब गुरु तेग बहादुर थे, अब तेरी-मेरी बारी है

साहित्य किसी भी समाज का आईना हुआ करता है। ऐसे में साहित्यकार अपने आस-पास के माहौल से अनभिज्ञ रहे या इतिहास की अनदेखी करे- यह कतई संभव नहीं है। कोलकाता के…