गढ़वा : गढ़वा को तेंदुए के आतंक से आजाद कराने शूटर शफत अली खान गढ़वा पहुंच चुके हैं। रात में वह गढ़वा में विश्राम करेंगे। फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा, हमारी पूरी कोशिश है कि हम ग्रामीणों को इस तेंदुए के खौफ से आजाद करें।
आपकी रणनीति क्या होगी? रणनीति इलाके में तय होगी, हमें तेंदुए को पकड़ने के लिए उसकी तरह सोचना होगा।
शूटर शफत अली खान ने कहा, हमें तेंदुए की तरह सोचना होगा। तेंदुआ रात में एक्टिव रहता है। सुबह आराम करता है। हमें रात में ही उसकी तलाश करनी होगी क्योंकि इसी वक्त वह अपने इलाके से बाहर निकलता है। तेंदुआ किस रास्ते से आ जा रहा है, उस रास्ते की पहचान करनी होगी। मैं अपनी टीम के साथ आ रहा हूं,
मेरी विशेष गाड़ी है जो इस काम में हमारी मदद करता है। हमारी टीम इस तरह के मामले में एक्सपर्ट है हमने कई राज्यों में आदमखोर जानवरों से लोगों को बचाया है। हमें पूरी उम्मीद है कि हम इस अभियान में सफल होंगे।
हमने जब शूटर शफत अली से पूछा कि अबतक वन विभाग के पास आदमखोर तेंदुए को लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है।
तेंदुए की एक तस्वीर तक उपलब्ध नहीं है। ऐसे में आप कैसे तेंदुए को पकड़ने में सफल होंगे। इस सवाल पर उन्होंने जवाब दिया कि हम आ रहे हैं, हम इस संबंध में पूरी जानकारी इकट्ठा करने और तेंदुए को पकड़ने या मार गिराने में माहिर हैं।
हमें तेंदुए का पैटर्न पता है कि वह कब क्या कर सकता है। किस तरह के इलाकों में वह खुद को सुरक्षित महसूस करता है। इसमें सबसे बड़ी बात यही है कि हमें रात में ही तेंदुए को पकड़ने के लिए निकलना होगा। दिन में वह अपने ठिकाने छिपा रहता है।
शूटर शफत अली खान को सुबह वन अधिकारी के शशि कुमार उन्हें भंडरिया प्रखंड के बिंदा गांव ले जायेगे। जहां तेंदुए को अंतिम बार देखा गया है और इसी इलाके में वन विभाग के अधिकारियों ने पिंजरा और कैमरा लगा रखा है। वन अधिकारी से जब पूछा गया कि शफत अली खान इस काम के कितने पैसे ले रहे हैं।
इस सवाल पर वन अधिकारी शशि कुमार ने कहा, उन्होंने बताया है कि वह समाज कल्याण के लिए काम करते हैं। इस तरह के काम के लिए वल कोई पैसे चार्ज नहीं करते। हमने बड़ी उम्मीदों के साथ उन्हें आमंत्रित किया है। हम उन्हें पूरा इलाका घूमाने और तेंदुए को लेकर हमारे पास आयी अबतक की जानकारी साझा करेंगे।
शूटर शफत अली खान की पहचान इस तरह के आमदखोर जानवर को मार गिराने के लिए है। उन्होंने दावा किया है कि ग्वालियर में एक ऑपरेशन के दौरान उन्होंने 17,400 सुअर मारे हैं। इसके अलावा बिहार में 7,000 जंगली सुअरों को मार चुके हैं।उन्होंने कई मौकों पर कहा है कि आदमखोर जानवर को मारने में कोई समस्या नहीं है।
तेंदुओं को ट्रैंक्युलाइज करने के लिए प्रफेशनल्स और विशेषज्ञ शूटरों की जरूरत है। देश में शकत अली अकेले ऐसा विशेषज्ञ हैं। शूटर शफत अलीआदमखोर तेंदुआ को ट्रेंकुलाइज कर उसे पकड़ने में मदद करने से लेकर अंतिम विकल्प के तौर पर मारने तक के काम में वह किसी तरह का शुल्क नहीं लेते हैं।उनके आने-जाने सहित अन्य खर्च उन्हें बुलाने वाला संस्था या विभाग वहन करता है।
जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से खेलते थे उनके घर के माहौल में शिकार था इसलिए शफत अली हथियार से खेलते थे। उनके घर पर 50 से अधिक हथियार थे।
उन्हें पांच साल की उम्र में 1962 में मद्रास के गवर्नर से राइफल शूटिंग के लिए ट्रॉफी मिली थी। 10 साल की उम्र में उन्होंने मासिनागुडी में एक चित्तीदार हिरण को मार गिराया। महाराष्ट्र के ब्रह्मपुरी डिवीजन में एक आदमखोर बाघिन को बेहोश किया था।
भारत में एकमात्र अधिकृत ट्रैंक्विलाइजिंग विशेषज्ञ और कलिंग अधिकारी, शाफत अली हमेशा बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना के वन विभागों के इशारे पर काम करते हैं। वह आदमखोर तेंदुाआ, हाथी, बाघ और ऐसे भालू से निपटते रहे जो इंसानों के लिए खतरा बना।
शफत अली के साथ -साथ मेरठ से तीन अन्य पिंजरा भी पहुंच गया है। पिंजरा निर्माण के लिए 19 दिसंबर को ही आदेश दिया गया था। चार दिन पहले ही मेरठ से चला था।
टीम के आने के बाद उनके बताए विशेष लोकेशन में पिंजरा लगाने के साथ थर्मल ड्रोन कैमरे का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। वन संरक्षक अधिकारी ने बताया कि तेंदुआ पर नजर रखने के लिए 10 टीम लगाए गए हैं। प्रत्येक टीम में 10-10 सदस्यों को शामिल किया गया है।
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