खट्टी-मीठी यादों के लबादे में लिपटी 12 मार्च की तारीख
12 मार्च 1930 को शुरू हुआ ‘दांडी मार्च’ भी शामिल है
निशा मिश्रा
नई दिल्ली। इतिहास गवाह है कि 12 मार्च को ही बंगाल के अंतिम स्वाधीन शासक को एक खास युद्ध में पराजित होना पड़ा था। अगर उस्मान खान लोहानी ने 1612 की उस लड़ाई को जीत लिया होता तो शायद बंगाल ही नहीं भारत का इतिहास भी कुछ और हुआ होता। बंगाल की धरती ने विभाजन का दंश भी इसी तारीख के इर्द-गिर्द झेला था जब लोगों के लाख समझाने के बावजूद लार्ड कर्जन ने बंग-भंग को अंजाम दे दिया था।
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भारत के इतिहास में 12 मार्च की तारीख एक महत्वपूर्ण घटना के लिए जानी जाती है। इसके अलावे देश-विदेश में भी 12 मार्च कई प्रमुख घटनाओं के लिए जाना जाता रहा है। 12 मार्च 1930 को शुरू हुआ ‘दांडी मार्च’ भी इसी में शामिल है। इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अहम पड़ाव भी माना जाता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस दिन अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से नमक सत्याग्रह के लिए दांडी यात्रा शुरू की थी। ठीक साढ़े छह बजे गांधी जी ने अपने 79 अनुयायियों के साथ आश्रम छोड़ा और मार्च आरंभ किया। दांडी तक की 241 मील की दूरी उन्होंने 24 दिन में पूरी की थी। इस मार्च के महीने के जरिए बापू ने अंग्रेजों के बनाए नमक कानून को तोड़कर उस सत्ता को चुनौती दी थी जिसके बारे में कहा जाता था कि उसके साम्राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता।
इसके अलावा आज ही के दिन यानी 12 मार्च 1967 में इंदिरा गांधी दूसरी बार देश की प्रधानमंत्री बनी थीं।
12 मार्च 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
12 मार्च की ऐसी ही कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएँ निम्नांकित हैं-
1799: ऑस्ट्रिया ने फ्रांस के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
1872: लॉर्ड मायो को मौत के घाट उतारने वाले शेर अली को फांसी पर लटकाया गया।
1930: गांधी जी ने नमक सत्याग्रह के लिए अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से अपनी दांडी यात्रा शुरू की और लोगों से ब्रिटिश हुकूमत को कर अदा न करने को कहा।
1938: जर्मनी ने ऑस्ट्रिया पर हमला किया।
1942: दूसरे विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश सैनिकों ने अंडमान द्वीप खाली किया।
1954: भारत सरकार ने साहित्य अकादमी की स्थापना की।
1960: भारतीय मनीषी, लेखक और संस्कृत विद्वान क्षितिमोहन सेन का निधन।
1967: इंदिरा गांधी दूसरी बार देश की प्रधानमंत्री बनीं।
1993: मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में सैकड़ों लोग हताहत हुए।
1999: बीसवीं सदी के प्रसिद्ध वायलिन वादक यहूदी मैनुहिन का निधन।
2003: सर्बिया के प्रधानमंत्री जोरान दिजिनदिक की बेलग्रेड में हत्या।
इसके अलावा और भी कई घटनाएं है जो 12 मार्च को घटीं, पर किसी न किसी कारणवश वो घटनाएं इतिहास में अपना नाम दर्ज नहीं करा पाईं।