कोलकाता : चुनाव के नतीजे प्रकाशित हो चुके हैं। इसी बीच कई जिलों में मोहर और चुनाव कर्मियों के हस्ताक्षर वाले मतपत्र सड़कों पर पड़े हैं। ऐसे कई आरोपों को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में मामला दायर किया गया है। कलकत्ता हाई कोर्ट की जज अमृता सिन्हा ने टिप्पणी की है कि ऐसे बहुत से मामले सामने आए हैं जिससे लोगों के मन में संदेह बढ़ता जा रहा है। हुगली के जंगीपाड़ा मामले में जज ने मंगलवार को बीडीओ की भूमिका पर नाराजगी जताई। उन्होंने सवाल उठाया कि मतपत्र सड़क पर क्यों पड़े थे और मामले की जांच क्यों नहीं हुई। इसके बाद जंगीपाड़ा बीडीओ को 13 अगस्त को उपस्थित होने का आदेश दिया गया।
आरोप है कि जंगीपाड़ा ब्लॉक के फुरफुरा ग्राम पंचायत में 29 में से 22 बूथों पर सीपीएम और आईएसएफ को विजेता घोषित किया गया था लेकिन कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया। बाद में तृणमूल उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया गया। इसके अलावा विपक्ष ने यह भी शिकायत की कि मतदान के बाद मतपत्र सड़क पर पड़े मिले। उस मामले में जंगीपाड़ा के बीडीओ ने रिपोर्ट देकर कहा कि यह पीठासीन पदाधिकारी की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि मतपत्र पर अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं पाये गये।
वहीं रिपोर्ट देखने के बाद जज ने कहा कि तथ्यों को देखकर ऐसा लगता है कि बीडीओ ने अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ लिया है। वे रिपोर्ट में गलत जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने आयोग के वकील से कहा कि कई मामलों में एक जैसी शिकायतें सामने आ रही हैं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव हुआ था। जज ने आयोग के वकील से पूछा कि बीडीओ ने खुद कहा कि उन्होंने मतपत्र जारी किया था। अगर वे कहीं और पाए गए तो जांच करना जरूरी क्यों नहीं लगा। जस्टिस अमृता सिन्हा ने साफ तौर पर कहा कि कोर्ट किसी का समर्थन नहीं करता और किसी के खिलाफ नहीं बोलता। बस कानून का पालन करें। मैं यहां बीडीओ के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि बीडीओ ने पीठासीन पदाधिकारी से बात किये बिना ही रिपोर्ट तैयार कर दी है।