विधायक समरी लाल के जति प्रमाण पत्र मामले में हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

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रांची : राज्य जाति छानबीन समिति के द्वारा कांके विधायक समरी लाल का जाति प्रमाण पत्र खारिज किए जाने के मामले में सुनवाई मंगलवार को हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश शंकर की कोर्ट में हुई।

दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है । इससे पहले मंगलवार को भी प्रतिवादी सुरेश बैठा की ओर से बहस हुई।

बहस में कहा गया कि राज्य जाति छानबीन समिति की जांच सही है। इसलिए समरी लाल के जाति प्रमाण पत्र को खारिज किया जाना उचित है। समरी लाल राजस्थान के निवास मूल निवासी हैं।

बाद में इसका प्रत्युत्तर समरी लाल की ओर से दिया गया। समरी लाल की ओर से कहा गया कि कोर्ट के समक्ष जो दस्तावेज प्रस्तुत किया गया उसके अनुसार समरी लाल झारखंड के स्थाई निवासी हैं, समरी लाल के दादा 1928 से झारखंड आए थे।

सर्किल इंस्पेक्टर और डीसी की रिपोर्ट में भी इसे बताया गया है कि समरी लाल के वंशज सहित समरी लाल के जाति के सदस्य अंग्रेजो के द्वारा आजादी के पूर्व सेनेटरी वर्क (साफ- सफाई) के लिए राजस्थान से जहां लाए गए थे लाल प्रार्थी समरी लाल की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल सिन्हा एवं कुमार हर्ष ने पैरवी की।

पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि समरी लाल के 1950 के पहले झारखंड में रहने का कोई दस्तावेज और अभिलेख नहीं है।

बता दें कि समरी लाल की ओर से उनके जाति प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने को हाईकोर्ट में चुनोती देते हुए रिट याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि वे झारखंड के मूल निवासी हैं।

लोकल इंकारी के तहत उन्हें जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है, जो जाति प्रमाण पत्र वेरिफिकेशन और इंक्वायरी के तहत निर्गत की जाती है।उसपर सवाल नहीं उठाया जा सकता। ऐसा सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों में कहा गया है। जाति प्रमाण पत्र रद्द करने का अधिकार जाति छानबीन समिति को नहीं है।

 

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