फूलों की खेती से खिल रहा पलामू प्रमंडल के 450 से अधिक किसानों का जीवन

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पलामू : प्रमंडल के पलामू, गढ़वा एवं लातेहार के कुछ किसानों ने फूलों की खेती कर अपनी पहचान बनाई है। किसान फूलों की खेती में न केवल संभावनाएं तलाश रहे हैं, बल्कि अधिक मुनाफा पाकर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। फूलों की खेती का सुखद परिणाम भी सामने आये हैं। किसानों की कड़ी मेहनत और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से यह सब संभव हो पाया है। इसके लिए प्रमंडल के 459 किसानों के बीच उद्यान विभाग की ओर से फूल के पौधे वितरित किये गये थे।

 

 

पलामू में 130 किसानों ने की फूलों की खेती

 

पलामू के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के कंकारी, बसरिया कला, सलतुआ, बंदुआ आदि पंचायत के 130 किसानों के बीच गेंदा एवं ग्लैडियोलस के पौधे उपलब्ध कराये गये थे। चैनपुर के बसरिया कला की ललिता देवी, मंजू देवी, सोकरा की रीतू देवी, मीना देवी सहित अन्य महिला किसानों ने छोटे-छोटे पैच में फूलों की खेती की।

 

लातेहार में 20 हेक्टेयर में लगे पौधे

 

लातेहार जिले में 20 किसानों को गेंदा और ग्लैडियोलस फूल के पौधे उपलब्ध कराये गये थे। चंदवा प्रखंड क्षेत्र के किसानों ने 20 हेक्टेयर के क्षेत्रफल के लिए फूलों के पौधे विभाग से प्राप्त कर खेती की। मुख्य रूप से राजेन्द्र उरांव, निर्मला देवी, सगुना कुमारी आदि किसानों ने फूलों की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ाई है।

 

गढ़वा के 175 किसानों ने लिए थे गेंदा फूल

 

गढ़वा जिले के 60 किसानों को गुलाब, 74 किसानों को ग्लैडियोलस एवं 175 किसानों के बीच गेंदा फूल के पौधे वितरण हुए थे। जिले के मेराल प्रखंड की अरंगी पंचायत के बनखेता गांव निवासी आरमा कुशवाहा एवं केतार प्रखंड के वेलावार निवासी अलताफ अंसारी ने भी फूलों की खेती प्रारंभ की है। किसानों ने बताया कि अन्य पारंपरिक खेती की अपेक्षा फूलों की खेती से उन्हें काफी फायदा हुआ है। फूलों की अच्छी खेती देख उनके मन भी प्रफुलित हो उठता है। उनके मान-सम्मान भी बढ़े हैं और क्षेत्र में अलग पहचान भी बनी है।

 

वेलावार के ही सकील अंसारी, केतार के जितेन्द्र कुमार मेहता, मकरी के नसरूदीन मियां, रंका के पिंटू मालाकार आदि ने भी फूल की खेती प्रारंभ की है। इसके अलावा करूआ कला, नगर उंटारी आदि विभिन्न प्रखंडों के गांवों में किसान फूलों की खेती में जोर आजमा रहे हैं।

 

अलताफ ने लगाये विभिन्न प्रजाति के फूल

 

केतार प्रखंड के वेलावार निवासी अलताफ अंसारी एक एकड़ भूमि पर फूलों की खेती कर रहे हैं। वे गेंदा, गुलाब, रजनीगंधा, सूर्यमुखी आदि विभिन्न प्रजाति के फूलों की खेती की है। खेती में उनका परिवार भी सहयोग कर रहा है। फूल केतार सहित भवनाथपुर, कांडी एवं नगर उंटारी तक व्यापारी ले जाते हैं। फूल के साथ-साथ वे माला बनाकर भी बेचते हैं। कृषि विभाग से उन्हें सहयोग मिला है। इसके पूर्व वे पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन उतनी मुनाफा नहीं होती थी, जितनी मुनाफा फूल की खेती से हुई है।

 

कम लागत में ज्यादा मुनाफा

 

मेराल के अरंगी बनखेता के आरमा कुशवाहा ने बताया कि कृषि-सह-उ़द्यान पदाधिकारी के प्रयास से उन्हें फूल के बीज उपलब्ध कराये गये थे। फूलों की खेती की जानकारी और उसके फायदे भी बताये गये थे, जिसके बाद फूल की खेती प्रारंभ किया है। फूल के साथ-साथ माला बनाकर भी बेचते हैं। इससे अच्छी आमदनी हो रही है। फूलों की खेती में बहुत फायदा समझ में आ रहा है। कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो रहा है। आसपास के किसान भी फूल की खेती देखने आते हैं और इसके संबंध में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।

 

अच्छी आमदनी कर रहे किसान

 

गढ़वा के किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से उद्यान विभाग द्वारा उद्यान विकास योजना एवं राज्य बागवानी मिशन योजना के तहत किसानों को गेंदा, गुलाब और ग्लैडियोलस के पौधे उपलब्ध कराये गये। साथ ही उन्हें जागरूक भी किया गया। अब यहां के किसान फूलों की खेती से अच्छी आमदनी कर रहे हैं और वे आर्थिक रूप से मजबूत होने लगे हैं।

 

फूल की खेती को दिया जाएगा बढ़ावा

पलामू के उद्यान पदाधिकारी शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि जिले के चैनपुर प्रखंड में 99 किसानों के बीच गेंदा, जरबेरा एवं ग्लैडियोलस के पौधे उपलब्ध कराये गये थे। इसका बेहतर रुझान देखने को मिला। फूलों की खेती को किसान आमदनी का उत्कृष्ट व्यवस्था मान रहे हैं। प्रारंभिक तौर पर चैनपुर में कलस्टर स्तर पर फूल की खेती कराने के उद्देश्य से किसानों को फूल के पौधे उपलब्ध कराये गये थे।