रामगढ़ : अपराधियों के चंगुल से भागने में सफल रही 12 वर्षीया दिव्यांग पूर्णिमा बनर्जी आखिरकार पिता के पास सकुशल पहुंच ही गई। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने पूर्णिमा के परिजनों से संपर्क किया और उन्हें रामगढ़ बुलाकर उनकी बच्ची को उनके हाथ में सुपुर्द किया। पूर्णिमा के पिता विपिन बनर्जी भी 70 फ़ीसदी दिव्यांग हैं। पिता को पाकर पूर्णिमा खुशी से झूम उठी लेकिन उसने जो दर्दनाक मंजर देखे थे, उसे बयां करने में भी वह सिहर रही थी।
नहीं मिलती मदद तो बेटी तक पहुंचना था मुश्किल
पूर्णिमा के पिता विपिन बनर्जी ने रामगढ़ जिला प्रशासन और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के साथ रामगढ़ की जनता का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मदद नहीं की जाती, तो वह बेटी तक नहीं पहुंच पाते। उन्होंने कहा कि उनका पूरा परिवार काफी गरीब है। वह मूल रूप से पश्चिम बंगाल के झालदा क्षेत्र के रहने वाले हैं लेकिन बोकारो के बालीडीह के पास बीयाडा ग्राउंड में बसे राधा नगर में झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। पास में पूरवीडीह रेलवे स्टेशन के पास उनकी दिव्यांग बच्ची भीख मांगने के लिए गई थी, जहां से लापता हो गई।
अगवा करने वालों में शामिल थे ट्रांसजेंडर
पूर्णिमा बनर्जी ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को बताया कि उसे अगवा करने वाले लोग ट्रांसजेंडर थे। जब वह रेलवे स्टेशन पर भीख मांग रही थी, उसी दौरान उन लोगों ने उसे बहला-फुसला कर ट्रेन में बिठाया और फिर रांची ले गए। रांची में उसे जहां रखा गया था वहां उसकी पिटाई की गई। उसे चाकू से काटने की धमकी दी गई। साथ ही उसके पेट को फाड़ कर किडनी व अन्य ऑर्गन्स निकालने की बात कही। शनिवार को एक टीम ने उसे बस में बिठाकर रामगढ़ लाया। यहां वह एक सदस्य को दांत काटकर भागने में सफल रही थी।
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