कोलकाता: नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने समान नागरिक संहिता को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता हिंदू राष्ट्र के निर्माण में पहला कदम है। वास्तव में समान नागरिक संहिता के पीछे हिंदू राष्ट्र बनाने की योजना है। उनका मानना है कि समान नागरिक संहिता के निर्माण के पीछे ‘हिंदू राष्ट्र’ के निर्माण का संबंध छिपा है।
अमर्त्य सेन हाल ही में शांतिनिकेतन लौटे हैं। वहां उन्होंने पत्रकारों से रूबरू होते हुए देश में समान नागरिक संहिता को लेकर मचे विवाद पर टिप्पणी की और केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यूसीसी में खामियां हैं। सरकार ऐसी चीजें कैसे पेश कर सकती है? यदि आप चालू करते हैं तो किसे लाभ होगा? केंद्र सरकार जिस तरह से देश को चलाने की कोशिश कर रही है, उसमें कुछ गड़बड़ है। उनका मानना है कि अगर हिंदू राष्ट्र बना तो राज्य के कुछ पहलुओं में नए रास्ते खुल सकते हैं, लेकिन कुछ रास्ते बंद जरूर हो जाएंगे। जिससे उन्हें लगता है कि पूरे मामले में हिंदू धर्म का दुरुपयोग हो रहा है।
बता दें कि नोबेल विजेता अर्थशास्त्री पहले भी कई बार केंद्र सरकार की कई नीतियों के खिलाफ सामने आ चुके हैं। उनके मुताबिक एक राज्य, एक कानून कह कर सभी समस्याओं का समाधान संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें सोचना होगा कि एक राज्य बनना कैसे संभव है। ताकि हमारे बीच मतभेद कम हो सकें। इसके पहले टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने समान नागरिक संहिता को लेकर अपनी आपत्ति जता चुके हैं। उन्होंने कहा कि यूसीसी क्या है? यह बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है। हमारी एकता हमारी विविधता में है।