सरकार ने हाईकोर्ट में कहा, विधायक समरी लाल 1950 से पहले से रांची में हैं इसका कोई दस्तावेज नहीं

कास्ट सर्टिफिकेट मामला

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रांची : सुरेश बैठा की इलेक्शन पिटीशन पर मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अपनी दलीलें पेश की। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी अभिलेख नहीं है जिससे साबित हो सके कि समरी लाल 1950 के पूर्व से रांची में रह रहे हैं।

अब अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को करेगी। इस मामले में विधायक समरी लाल की ओर से बहस पूरी कर ली गई है।

समरी ने हाईकोर्ट में कास्ट स्क्रूटनी कमिटी के उस आदेश को चुनौती दी है। जिसमें उनके जाति प्रमाण पत्र को गलत करार दिया गया था। याचिका में कहा गया है कि बिना किसी ठोस आधार के समरी लाल की जाति प्रमाण पत्र को अवैध करार दिया गया है।

यह नैसर्गिक न्याय नहीं है। प्रार्थी ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 1956 में एकीकृत बिहार में उस जाति को एसटी में शामिल किया गया था। जिस जाति से वे आते हैं।

लेकिन 1 अप्रैल को स्टेट स्क्रूटनी कमिटी ने बिना किसी गवाह और ठोस साक्ष्य के उनके जाति प्रमाण पत्र को गलत करार दिया जो गलत है।

 

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