ब्यूरो रांची : देव रतूड़ी. कम से कम सिनेमा प्रेमियों के लिए यह नाम अनसुना नहीं होगा. भारत के टिहरी का रहने वाला यह सितारा अब फिल्म जगत का एक बड़ा नाम बन चुका है. रतूड़ी की काबलियत को ऐसे समझा जा सकता है एक वक्त में वो चीन में एक वेटर का काम करते थे और अब चीन की फिल्म इंडस्ट्री में उनके हुनर का डंका पीटा जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बॉलीवुड द्वारा लगातार रिजेक्ट होने के बाद रतूड़ी चीन चले गए, और खर्च चलाने के लिए वहां के एक रेस्ट्रॉन्ट में वेटर का काम किया. कई सालों की कड़ी मेहनत के बाद रतूड़ी की किस्मत बदलनी शुरू हुई. पहले वो अपनी काबिलियत के दम पर एक जर्मन रेस्ट्रॉन्ट के मैनेजर बने. फिर एक हॉस्पिटैलिटी चेन के एरिया डायरेक्टर बने, और साल 2013 में उन्होंने रेड फोर्ट नाम से खुद का रेस्ट्रॉन्ट खोल लिया. खासखास बात यह कि इस पूरे सफर से रतूड़ी ने एक्टर बनने का सपना नहीं छोड़ा. अंतत: उन्हें वो मौका मिल ही गया जिसकी उन्हें अरसे से तलाश थी. ‘स्वात’ फिल्म में उन्होंने अपने फिल्मी करियर का पहला बड़ा ब्रेक मिला. ‘स्वात’ में भले ही उनका किरदा छोटा था लेकिन वो अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे और इसके बाद फिर उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा. अब रतूड़ी चीन की फिल्म इंडस्ट्री का बड़ा नाम हैं और 30+ फिल्में, और वेब सीरीज कर चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रतूड़ी की जिंदगी और संघर्ष की कहानी चीन के शांक्सी प्रांत स्थित शीआन शहर के स्कूल की किताबों में पढ़ाई जा रही है. उनकी कहानी को 7वीं क्लास के सिलेबस में शामिल किया गया है, जिसका शीर्षक ‘rags-to-riches tale’ है. देव रतूड़ी उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो किस्मत के आगे अपने घुटने टेंक देते हैं, और गरीबी को अपने जीवन के सबसे बड़ी बाधा मानते हैं.
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